मिंटी अग्रवाल: अभिनंदन की मदद की, एक इशारे में पाक का एफ 16 गिरवाया, अब मिला बड़ा पुरस्कार

अंबाला (हरियाणा) वायु सेवा दिवस के मौके पर अंबाला की मिंटी अग्रवाल ने युद्ध सेवा मेडल पाकर इतिहास रच दिया। यह पुरस्कार हासिल करने वाली पहली महिला बनने पर जहां मिंटी के नाम को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, वहीं यह अंबाला के लिए एतिहासिक क्षण है। अपनी बहादुरी व समझदारी की बदौलत बालाकोट एयर स्ट्राइक में अभिनंदन के संग एफ-16 गिराने के साथ-साथ अहम भूमिका निभाने के लिए यह पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया से मिला। कार्यक्रम में उनके साथ अंबाला से उनके भाई अरविंद अग्रवाल व राहुल अग्रवाल भी मौजूद रहे।

राडार के जरिए पाकिस्तान की हर मूवमेंट पर थी मिंटी की नजर
बालाकोट एयर स्ट्राइक में वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था। उस समय महिला स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल की भूमिका अहम रही। वायुसेना के राडार कंट्रोल स्टेशन पर तैनात होने पर तनावपूर्ण वातावरण में हालात को समझदारी से संभाला।
बताया जाता है कि जब पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने उनके एयरबेस से उड़ान भरी और पीओके के रास्ते भारतीय वायु सीमा में प्रवेश करने को आगे बढ़े तो मिंटी अग्रवाल ने श्रीनगर स्थित वायुसेना एयरबेस को सूचित कर दिया, जहां विंग कमांडर अभिनंदन समेत कई जांबाज भारतीय लड़ाकू विमान के साथ हाई अलर्ट पर थे। मिंटी अग्रवाल से सूचना मिलते ही अभिनंदन ने उड़ान भरी।

आखिरी समय में जैसे ही मिंटी ने पाकिस्तान सीमा देखकर अभिनंदन को मुड़ने का संकेत दिया था, तब तक वह विमान समेत पाकिस्तान की सीमा में घुस चुके थे और ऑपरेशन सफल हुआ था। उस समय सुरक्षा कारणों से मिंटी अग्रवाल का नाम उजागर नहीं किया गया था।

यह होती है मेडल की खासियत 
युद्ध सेवा मेडल देने की शुरुआत 26 जून 1980 को हुई थी। यह मेडल युद्ध, संघर्ष या विषम परिस्थितियों में असाधारण बहादुरी दिखाने के लिए दिया जाता है। 35 सेंटीमीटर के व्यास वाला यह मेडल सोने से बना होता है। सोने के रंग वाली पट्टी में गुंथे इस मेडल के एक तरफ सितारे की आकृति बनी होती है, दूसरी तरफ भारत सरकार के राष्ट्रीय चिह्न के साथ हिंदी और अंग्रेजी में ‘युद्ध सेवा मेडल’ लिखा होता है, ये वीरता पुरस्कार से अलग होता है।

एयरफोर्स स्कूल से 12वीं पास के बाद एसडी कॉलेज में लिया दाखिला
दुर्गा नगर में मिंटी अग्रवाल का पैतृक मकान है। उनके भाई अरविंद अग्रवाल ने बताया कि मिंटी चार बहन-भाई में सबसे छोटी है। मिंटी बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही। उसने एयरफोर्स पब्लिक स्कूल से वर्ष 2004 में 12वीं पास की, जिसके बाद वह एसडी कॉलेज में बीएससी मेडिकल स्ट्रीम में एडमिशन लिया।

इसके बाद वर्ष 2011 में एसएससी के माध्यम से एयरफोर्स में कमिशन हासिल किया। मिंटी का सिलेक्शन एडमिशन सेक्शन में हुआ था, मगर एयर डिफेंस कॉलेज में वह मेरिट पर आई जिस कारण उन्हें एयर फाइटर कंट्रोलर विंग में लाया गया। मिंटी के पति राहुल अग्रवाल अंबाला सिटी में बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर हैं।

बचपन से था एयरफोर्स की वर्दी का रुझान
मिंटी के परिजनों का कहना था कि बचपन से ही मिंटी सेना या एयरफोर्स की वर्दी में अधिकारियों व जवानों को देखती थी। वह उस ओर इतनी आकर्षित होती थी और उसका बस चलता तो वह उनके मेडल ही अपनी यूनिफार्म पर लगा लेती। वह स्कूल से लेकर कॉलेज में टॉप पर रही और इसके बाद एयरफोर्स में कमिशन पाया। मिंटी सातवीं कक्षा में थी जब मां का देहांत हो गया। मगर भाभी साक्षी ने मां की कमी को पूरा करते हुए संभाला व देखभाल की।

 

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