रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) द्वारा रेपो दर को अपरिवर्तित रखा गया है। इसे लेकर रियल एस्टेट क्षेत्र के लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। जहां कुछ लोगों का कहना है कि यदि त्योहारी सीजन में रेपो दर में कुछ और कटौती कर दी जाती तो इस क्षेत्र का पहिया कुछ और तेजी से घूम जाता। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका कहना है कि रेटो रेट घटा नहीं तो कम से कम बढ़ा भी तो नहीं। यही संतोषजनक बात है। बता दें कि फरवरी, 2019 से अब तक आरबीआइ ने रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
यह सही है कि लोग ईएमआइ की ब्याज दरों पर कुछ और राहत की उम्मीद कर रहे थे उन्हें थोड़ी निराशा हुई है। इससे पहले अगस्त में आरबीआइ की बैठक हुई थी, जिसमें ब्याज दरें नहीं बदली गई थीं। इससे लग रहा था कि इस बार शायद कुछ और राहत मिले। आर्थिक विशेषज्ञ राज गुलिया का कहना है कि रेपो दर में थोड़ी कटौती होती तो इस क्षेत्र के लिए बड़ा कदम होता। एसोचैम नेशनल काउंसिल आन रियल एस्टेट हाउसिग एंड अर्बन डेवलपमेंट के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि आरबीआइ द्वारा रेपो दर को अपरिवर्तित रखना एक अपेक्षित कदम है। प्रापर्टी कारोबारी विकल्प माथुर का कहना है कि रेपो दर में कुछ कटौती होनी चहिए थी। रेपो रेट को लेकर जो निर्णय आरबीआइ ने लिया है वह रियल एस्टेट क्षेत्र के अनुकूल है। क्योंकि अब आवास ऋण को लोन की वैल्यू से जोड़ा जाएगा। इससे खरीदारों को आसानी से ऋण प्राप्त होगा, जिससे उनके घर खरीद का सपना जल्द से जल्द साकार होगा।
कपिल कपूर, निदेशक, सेल्स स्ट्रेटेजी एंड बिजनेस डेवलपमेंट, बुलमैन रियल्टी इंडिया रेपो रेट का अपरिवर्तित रहना कुछ अपेक्षित कारणों से है। वैसे अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआइ के रुख से ऐसा लग रहा है कि आगामी तिमाही में रियल एस्टेट क्षेत्र को बल मिलेगा। इस मुश्किल दौर से निपटने के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र को सरकार और आरबीआइ के साथ की जरूरत है।