पंजाब / अमृतसर रेल हादसे पर सवाल, मानवाधिकार संगठन ने कहा-जांच रिपोर्ट पर हुई राजनीति |

अमृतसर. अमृतसर में वर्ष 2018 में दशहरे वाले दिन हुए बड़े रेल हादसे पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। इस हादसे की मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने को लेकर एक मानवाधिकार संगठन ने सरकार को और रिपोर्ट में जिम्मेदार माने गए लोगों के नाम एफआईआर में नहीं जोड़े जाने को लेकर जीआरपी को गलत बताया है। 15 दिन की चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन 15 दिन के भीतर अगर जीआरपी ने रिपोर्ट में शामिल किए गए जिम्मेदार लोगों के नाम एफआईआर में नहीं जोड़े तो इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

दरअसल, 19 अक्टूबर 2018 को शाम 7 बजे अमृतसर के धोबीघाट में आयोजित दहशरा कार्यक्रम देख रही भीड़ को ट्रेन ने रौंद दिया था। इस घटना में 65 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 75 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। इस उत्सव का आयोजक सौरव मदान उर्फ मिट्ठू पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू और उनकी पत्‍नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू का बेहद करीबी माना जाता है। जिस दशहरा कार्यक्रम के दौरान यह हादसा हुआ उसकी मुख्‍य अतिथि डॉ. नवजाेत कौर सिद्धू थीं। घटना के बाद वह राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गई थीं, लेकिन बाद में उनको क्‍लीनचिट मिल गई। घटना के बाद सौरव मदान भूमिगत हो गया था, लेकिन बाद में वह बाहर आया और अपनी सफाई दी। इसके संबंध में जांच के लिए जालंधर डिवीजन के कमिश्नर बी पुरुषार्थ की अगुवाई में कमेटी बना चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।

कहा जाता है कि मजिस्ट्रेट बी पुरुषार्थ ने 19 नवंबर 2018 को ही रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी थी, लेकिन सरकार ने इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अजीत सिंह बैंस की अगुवाई वाले मानवाधिकार संगठन के चीफ इन्वेस्टिगेटर सरबजीत सिंह वेरका ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक प्रभाव के चलते रिपोर्ट दबाई गई। साथ ही वेरका ने पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन सिंह गिल को 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की शिकायत दी है। उनका कहना है कि अब जीआरपी को रिपोर्ट में शामिल अफसरों के नाम एफआईआर में शामिल करने चाहिए। अगर इंसाफ नहीं मिला तो वह 15 दिन में हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

इन पर है लापरवाही का आरोप

वेरका ने बताया कि रिपोर्ट में दशहरा कमेटी (ईस्ट) के अध्यक्ष व आयोजक सौरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान, महासचिव राहुल कल्याण, सचिव करण भंडारी, सचिव काबल सिंह, प्रेस सचिव दीपक गुप्ता, कैशियर दीपक कुमार, कार्यकारी सदस्य भूपिंदर सिंह, एसीपी प्रभजोत सिंह विर्क, एएसआइ दलजीत सिंह, एएसआइ सतनाम सिंह, मोहकमपुरा थाने के मुंशी व सांझ केंद्र के इंचार्ज बलजीत सिंह, एएसआइ कमलप्रीत कौर, मोहकमपुरा थाने के अतिरिक्त थाना प्रभारी सुखनिंदर सिंह, थाना प्रभारी अवतार सिंह शामिल हैं। इसके अलावा नगर निगम के एस्टेट ऑफिसर सुशांत सिंह भाटिया, इलाका इंस्पेक्टर केवल किशन, पुष्पिंदर सिंह, विज्ञापन विभाग के सुपरिडेंट गिरीश कुमार, क्लर्क अरुण कुमार, डीएमयू के पायलट व असिस्टेंट लोको पायलट, गार्ड व गेटमैन निर्मल सिंह को भी हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

अज्ञात पर दर्ज है गैर इरादतन हत्या का मामला

जीआरपी ने अज्ञात आरोपितों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। इसके बाद जीआरपी व रेलवे मजिस्ट्रेट जांच का इंतजार करते रहे। जीआरपी के थाना प्रभारी सुखविंदर सिंह ने बताया कि वह सरबजीत सिंह वेरका की शिकायत को उच्च अधिकारियों को भेज चुके हैं।

6 पुलिस वालों और 7 नगर निगम अफसरों पर भी चल रही है कार्रवाई

उधर 21 अक्टूबर को पंजाब सरकार की तरफ से जारी एक जानकारी के मुताबिक इस हादसे के संबंध में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बड़ा बयान आया। इस घटना को लेकर कार्रवाई नहीं किए जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए उन्होंने कहा था कि इस मामले में 6 पुलिस वालों और अमृतसर नगर निगम के 7 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट पहले ही फाइल हो चुकी है। मजिस्ट्रेट लेवल की जांच में ये लोग ड्यूटी में लापरवाही के दोषी पाए गए।

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