चंडीगढ़ — हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब से अपील की है कि वह राज्य को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराए, अन्यथा भाखड़ा डैम का अतिरिक्त जल हरिके-पत्तन के रास्ते पाकिस्तान बह जाएगा। सैनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनज़र पाकिस्तान के साथ की इंदुस जल संधि को निलंबित कर दिया है।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा, “भाखड़ा जलाशय को जून से पहले खाली करना जरूरी है ताकि मानसून के दौरान वर्षा जल को संचित किया जा सके। अगर डैम में जगह नहीं बची तो अतिरिक्त पानी पाकिस्तान चला जाएगा, जो न तो पंजाब के हित में है और न ही देश के।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि पानी की आपूर्ति में बाधा आई तो दिल्ली की जल आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा, “जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब पंजाब की मान सरकार को राजधानी को पानी देने से कोई ऐतराज़ नहीं था। अब जब AAP वहां सत्ता में नहीं है, तो ऐसे बयान क्यों दिए जा रहे हैं जो दिल्ली की जनता को दंडित करते हैं?”
पंजाब सरकार का दावा है कि हरियाणा पहले ही 21 सितंबर 2024 से 20 मई 2025 की अवधि के लिए अपने हिस्से का पानी उपयोग कर चुका है। उनका कहना है कि इस समय दो प्रमुख डैम—पोंग और रंजीत सागर—बहुत कम जल स्तर पर हैं, जिसके पीछे जलवायु परिवर्तन, कमजोर मानसून और हिमाचल में बर्फबारी की कमी जैसे कारण हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि राज्य को उसका पूरा हक नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को जो पानी दिया गया, उसमें से 500 क्यूसिक दिल्ली, 800 क्यूसिक राजस्थान और 400 क्यूसिक पंजाब को चला गया। “इस तरह हरियाणा को केवल 6,800 क्यूसिक पानी ही मिला,” सैनी ने बताया।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि BBMB हरियाणा की मांग के अनुसार पानी दे भी दे, तो वह भाखड़ा डैम की कुल जल क्षमता का मात्र 0.0001 प्रतिशत होगा, जिससे जलाशय के भंडारण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा सरकार पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी केंद्र के माध्यम से पंजाब पर दबाव बना रही है। मान ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार ने केंद्र से मांग की है कि चेनाब, झेलम, उज्ह और अन्य नदियों से उत्तरी राज्यों को पानी दिया जाए।
सैनी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि अप्रैल-मई में पंजाब और हरियाणा में धान की खेती नहीं होती, और इस अवधि में BBMB द्वारा छोड़ा गया पानी केवल पेयजल के लिए होता है।
इस बीच, सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच पुराना विवाद भी अब तक अनसुलझा है। यह 214 किलोमीटर लंबी नहर केवल हरियाणा में पूरी हुई है, जबकि पंजाब ने 1982 में निर्माण शुरू करने के बाद इसे छोड़ दिया। हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री ने साफ कहा था कि SYL नहर कभी नहीं बनेगी, क्योंकि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी नहीं है।
मुख्यमंत्री सैनी ने इसके जवाब में कहा कि नहर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जल सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है और पंजाब सरकार जानबूझकर इसके निर्माण को बाधित कर रही है।