हरियाणा में भ्रूण हत्या और अवैध गर्भपात की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे सघन अभियान के तहत राज्यभर में बीते सप्ताह (20 मई से 26 मई) के दौरान 1787 मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) किट जब्त की गईं और 6 एफआईआर दर्ज की गई हैं। यह जानकारी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत लिंगानुपात सुधारने के लिए गठित राज्य टास्क फोर्स की साप्ताहिक बैठक में दी गई।
बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल ने की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अवैध गर्भपात में शामिल चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिसमें उनके लाइसेंस रद्द करना भी शामिल हो।
बैठक में बताया गया कि राज्यभर में अवैध रूप से MTP किट बेचने वालों के खिलाफ निरीक्षण अभियान चलाया गया, जिसके तहत तीन दुकानों को सील किया गया है। इसके अलावा एमटीपी किट बेचने वाले थोक विक्रेताओं की संख्या एक महीने में 32 से घटाकर केवल 6 कर दी गई है। तीन मामलों में किट की अधिक कीमत वसूलने की शिकायत मिली, जबकि दो फर्मों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के उल्लंघन पर नोटिस जारी किए गए हैं।
राज्य के 14 जिलों में एमटीपी किट की बिक्री में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। बैठक में विशेष रूप से बीएएमएस डॉक्टरों और झोलाछाप चिकित्सकों पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए।
राजपाल ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHCs) में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMOs) को जवाबदेह बनाने का निर्देश दिया और कहा कि उनके क्षेत्राधिकार में किसी भी प्रकार के अवैध गर्भपात की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने SMOs को हर मंगलवार को मेडिकल ऑफिसर्स और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHOs) के साथ बैठक करने और CMOs को प्रत्येक बुधवार को SMOs के साथ समीक्षा बैठक आयोजित करने के आदेश दिए।
इसके अतिरिक्त, राज्य के सभी 122 CHCs के अंतर्गत कुल 686 उप-पंजीयकों को तैनात किया जाएगा ताकि उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सके।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर्स की पंजीकरण जानकारी का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा और उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या गैर-कानूनी गतिविधि की पहचान की जा सके। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीण और झुग्गी क्षेत्रों में अधिक जन्म पंजीकरण शिविरों के आयोजन के निर्देश दिए गए ताकि प्रवासी आबादी तक भी सरकारी योजनाएं पहुंचे और कोई भी बच्चा राज्य में बिना पंजीकरण के न रहे।
बैठक में तीन जिलों – फरीदाबाद, सोनीपत और नूंह के PO (ICDS)/CDPOs को यह दायित्व न निभाने पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए कि वे गर्भवती महिलाओं को परामर्श देने के लिए आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को “सहेली” के रूप में नामांकित करने में लापरवाह रहे।
महिला एवं बाल विकास विभाग को गांवों में IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों को तेज करने के निर्देश दिए गए, जिसमें ‘लाड़ो पंचायत’, ‘कुआं पूजन’ जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के साथ नवजात बेटियों के जन्म पर परिवारों को सम्मानित करने की योजना भी शामिल है। यह प्रयास समुदायिक भागीदारी, जनजागरूकता और शिक्षा के जरिए महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं।
इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक श्री रिपुदमन सिंह ढिल्लों सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।