अपने देसी खान-पान और पहलवानों के कारण पूरी दुनिया में मशहूर हुए हरियाणा में पहली बार अपराध भी चुनावी मुद्दा बन गया है। बढ़ते अपराध और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी दल अभी से भाजपा को निशाने पर ले रहे हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि सब कुछ नियंत्रण में हैं, लेकिन पहली बार चौक-चौराहों और हुक्का-चौपालों पर आपराधिक वारदात बढ़ने की चर्चा आम है। यह भी पहली बार है कि राजनीतिक दल अपराधियों के सफाये को अपने चुनावी वादों में शामिल कर रहे हैं। सभी दल अपराधमुक्त हरियाणा और भयमुक्त प्रदेश का नारा दे रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2022 की रिपोर्ट की मानें तो साल 2022 में प्रदेश में 2.43 लाख आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं, जो साल 2021 से 17.6 फीसदी अधिक हैं। बच्चों के खिलाफ अपराधों में भी 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में साल 2022 में 6,138 मामले दर्ज किए गए, जो साल 2021 में 5,700 और 2020 में 4,338 थे। पड़ोसी राज्य पंजाब में महज 2,494 केस दर्ज हुए हैं। हरियाणा में पॉक्सो एक्ट के तहत 1,272 बच्चियों के यौन शोषण के मामले भी दर्ज हुए हैं, इसके अलावा 68 लड़कों को भी शोषण का शिकार बनाया गया है। प्रदेश में बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों में भी 50 फीसदी की बढ़ोतरी चिंता की लकीर खींच रही है। इनके अलावा पिछले साल हुई नूंह हिंसा और इस साल एक के बाद एक सात नामी शख्सियतों की हुई सरेआम हत्या व तीन बार हुई गैंगवार ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
Haryana Loksabha Election: बढ़ता अपराध पहली बार बना चुनावी मुद्दा,
