हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए एक बहू की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने उसे ससुराल से बाहर करने के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि सास-ससुर द्वारा अर्जित संपत्ति में उसकी भूमिका लाइसेंसी की है। महिला ने अपनी याचिका में बताया कि उसका विवाह 2009 में हुआ था और तब से वह गुरुग्राम स्थित आवास में रह रही है। कुछ समय पूर्व उसने घरेलू हिंसा निरोधी अधिनियम के तहत सास-ससुर के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। इसके बाद याची के पति ने अपने माता-पिता के साथ मिलीभगत कर मेंटेनेंस ऑफ पैरेंट्स एंड वेलफेयर ऑफ सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत गुरुग्राम के डीसी को शिकायत दे दी। गुरुग्राम के डीसी ने याची के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उसे मकान खाली करने का आदेश दे दिया।
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत में घरेलू हिंसा को लेकर दर्ज मामले में कोर्ट ने याची को ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया। इस फैसले के खिलाफ याची ने अपील नहीं की तो यह अंतिम फैसला हो गया। साथ ही वह मकान याची के सास- ससुर द्वारा अर्जित की गई संपत्ति में उसका दर्जा लाइसेंसी का है और याची के कृत्य ने लाइसेंस को समाप्त कर दिया।