कैथल जिले के गुहला-चीका उपमंडल के गांव दुसेरपुर में इस दिन सन्नाटा पसरा रहता है। इस गांव में 155 वर्षों से ग्रामीणों ने होली का त्योहार नहीं मनाया। ग्रामीण इसके पीछे एक घटना बताते हैं, जिस वह से पूरा गांव इस पर्व को नहीं मनाता। गांव की निवर्तमान सरपंच सीमा रानी समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 155 वर्ष पहले उनके गांव दुसेरपुर में भी होली का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था परंतु एक दिन गांव में ऐसी घटना घटी, जिसने गांव के लोगों से उनकी होली मनाने की खुशियां छीन ली।
बताया जता है की घटना वाले दिन इस गाऊं के लोगो ने होली के मुहरत से पहले ही होलिका दहन कर दिया था इसलिए वंहा के एक माने हुए बाबा थर जिन्होंने होलिका दहन समय से पहले से करने से मना किया था लेकिन वह नहीं माने इसलिए उन्होंने गुस्से मे अग्नि मे कूदकर अपनी जान दे दी और पुरे गांव को श्राप दिया. इसलिए वंहा होली नहीं मनाई जाती है पीछे 155 सालो से यंहा होली नहीं मनाई जाती है.माना गया है की जब गाय को बछड़ा होगा या किसी महिला को होली के दिन ही लड़का होगा तबसे होली का त्यौहार उस गाओं मे मनाया जाने लगेगा।