आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स ने महापड़ाव के दूसरे दिन की शुरुआत भजनों और हरियाणवी लोक गीतों से की। सुबह 8 बजे से ही गीतों का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान वर्कर्स ने गीतों से जहां सरकार के रवैये पर कटाक्ष किया। वहीं अपनी मांगों को भी हरियाणवी अंदाज में पेश किया। रोहतक, हिसार, भिवानी और सोनीपत की महिलाओं ने मंच पर गीतों की प्रस्तुति दी। नाश्ते में प्रसाद रूपी लंगर ग्रहण किया। वहीं दोपहर को धरने के बाद शाम को फिर पार्क में एकत्रित हुईं।
रात को खाना खाने के बाद सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए फिर मंच सजा। इस दौरान जहां गीतों से देशभक्ति पूर्ण माहौल भी बनाया। साथ ही पुलवामा के शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पुलवामा में जिन वीरों ने जान देश पर वारी है, गैरों की औकात नहीं अपनों की गद्दारी है… और बहनों होश करो अब बारी संघर्ष की आई है.. जैसे गीत गाकर नारे भी लगाए। इसके अलावा मैं आंदोलन में जाऊंगी चाहे सरकार कुछ भी कर ले.. चाहे लोग बोलियां बोले… जैसे गीत गाकर सरकार की ओर से की जाने वाली बर्खास्तगी पर भी कटाक्ष किया। हट को बनाया अस्थायी कार्यालय, यहीं होंगी कमेटियों की बैठक
फव्वारा पार्क में मुख्य मंच के पीछे एक हट को अस्थायी कार्यालय का रूप दिया गया है। यहीं पर अब कमेटियों की बैठक होंगी। वर्कर्स की ओर से हट को चारों तरफ से टेंट लगाकर कवर किया गया है। सुबह तालमेल कमेटी की बैठक भी यहीं हुई। इसके अलावा घेराव से पहले आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन की बैठक भी यहीं हुई। तहसीलदार से भी इसी अस्थायी कार्यालय में ही यूनियन के नेताओं ने बातचीत की।
हमारी सरकार से दुश्मनी नहीं, केवल मौलिक अधिकारों की बात है
हमारी सरकार, प्रशासन और पुलिस के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। केवल मौलिक अधिकारों की ही बात है। नई मांग कोई नहीं है। केवल घोषणाओं को लागू कराने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। या तो सरकार स्पष्ट रूप से इसे लागू करने से मना करे या फिर इन्हें शीघ्र लागू करे। सरकार करोड़ों रुपये टैक्स लेती है लेकिन वेतन देने को लेकर अड़ रही है। केंद्रों पर आने वाले बच्चे भी सुविधाओं से वंचित हैं और हड़ताल के कारण महिलाओं के घर पर भी चूल्हे नहीं जल रहे। बेटियों की स्थिति भी खराब थी। आईसीडीएस के बजट में भी सरकार कटौती कर रही है।