- एसएनसीयू वार्ड में 9 महीने 1 माह से कम उम्र के 19 बच्चों की जान गई, जबकि पिछले साल 20 की जान गई थी
पीलिया और सांस में दिक्कत के कारण सिविल अस्पताल में जन्म लेने वाले 2 बच्चों की हर माह मौत हो रही है। सिविल अस्पताल में प्री-मैच्याेर डिलीवरी हाेने, कम वजन, पीलिया, सांस की बीमारी या अन्य बीमारी हाेेने के कारण 1 जनवरी से लेकर 30 सितंबर तक यानी इन 9 माह में अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में 19 बच्चाें की माैत हाे गई है, जबकि तबीयत बिगड़ने पर 185 बच्चे रेफर भी हुए हैं। इन 9 महीनाें में 858 शिशु एडमिट किए गए हैं।
इसमें 543 शिशु ठीक हाेकर लाैटे हैं ताे वहीं 92 बच्चाें के माता-पिता इलाज काे बीच में छाेड़ यहां से ले गए। 2013 में जिले के सिविल अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड शुरू किया गया था। इसमें बच्चाें काे जन्म से ही हाेनेे वाली बीमारियाें से बचाने के लिए इसे खाेला गया था। इससे काफी सुधार देखा गया है।
इससे पहले हर 100 केस में 5 की माैत हाेती रहती थी। 2013 से अब तक एसएनसीयू वार्ड में 7197 बच्चाें काे एडमिट किया गया है। तब से लेकर 30 सितंबर तक 166 बच्चाें की जान जा चुकी है। यानी 2.31 प्रतिशत बच्चाें की माैत हुई है। कुल एडमिट में से अब तक 4485 ठीक भी हाे हुए हैं। वहीं तबियत बिगड़ने पर 1754 रेफर भी हुए हैं। अब तक 166 बच्चाें की जान जा चुकी है।
9 माह में 19 बच्चाें ने दम ताेड़ा
1 जनवरी से 30 सितंबर तक 19 बच्चाें ने दम भी ताेड़ा है। अगर पिछले रिकाॅर्ड काे देखा जाए ताे जिले में माैताें काे राेकने में काफी सुधार आया है। सिविल अस्ताल में औसतन हर माह 3 माैत हाेती है, लेकिन 9 माह में सिर्फ 19 बच्चाें की माैत हुई है। जबकि 2019 में सिर्फ 20 बच्चाें की माैत हुई थी। जबकि 2017 और 2018 में क्रमश: 27 व 33 की माैत हुई है। लाॅकडाउन पीरियड में बच्चाें के एडमिट करने में काफी कमी आई क्याेंकि उस समय काेराेना के कारण काेई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
हर साल हाे रहा वार्ड में सुधार
एमएस डाॅ. आलाेक जैन ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के रिकाॅर्ड में हर साल सुधार हाे रहा है। बच्चे के ठीक हाेने का आंकड़ा बढ़ रहा हैं ताे वहीं माैत का आंकड़ा लगातार कम हाेता जा रहा है। धीरे-धीरे इसमें सुविधा बढ़ाई जाती हैं।