चाचा अभय चौटाला के कुनबे में दुष्यंत चौटाला की सेंध

दुष्यंत चौटाला की अपने दादा-परदादा की राजनीतिक विरासत पर पूरी नजर है। उपमुख्यमंत्री का जोर उन लोगों को पाले में लाने पर है, जो कभी दादा-परदादा के सिपाही रहे थे। फिर बेशक चाचा अभय चौटाला के कुनबे में सेंध क्यों न लगानी पड़े। रविवार को दुष्यंत ने धारूहेड़ा पहुंचकर यही किया। एक जमाने में दादा-परदादा के मुरीद रहे जेलदार परिवार से जुड़े मंजीत राव को दुष्यंत पहले ही अपना बना चुके थे। रविवार को उन्हें जजपा का झंडा थमाकर इसकी औपचारिकता पूरी की गई। आखिर सत्ता पक्ष और विपक्ष का अंतर तो होता ही है।

चर्चा तब से है जब से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस में रहते हुए अपने और इलाके के सम्मान तथा पानी की लड़ाई शुरू की थी। भाजपा में आने के बाद भी जब इंसाफ मंच का अस्तित्व बरकरार रहा तो राव विरोधी दिल्ली दरबार को यह समझाते रहे कि इंसाफ मंच की मौजूदगी का मतलब है राव भाजपा के साथ अभी घी-खिचड़ी नहीं होना चाहते, मगर कोरोना संक्रमण काल में राव अपने इस गैर राजनीतिक प्लेटफार्म को अपनी पार्टी के बीच सामाजिक संस्था की पहचान दिलाने में कामयाब रहे। कोरोना संकट में उनकी बेटी आरती राव ने मंच के माध्यम से रेवाड़ी से भिवानी तक जरूरतमंदों को राशन वितरित किया। उनके इस काम पर अब मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने मुहर लगा दी है। सीएम ने आरती राव को भेजे अपने पत्र में इंसाफ मंच द्वारा किए गए कामों की खूब तारीफ की है।

 

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