हरियाणाः धान घोटाले में राइस मिलर्स पर लटकी आपराधिक केस की तलवार, सीएम ने मांगी रिपोर्ट |

हरियाणा में धान घोटाले में शामिल राइस मिलर्स के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के साथ ही आपराधिक केस भी दर्ज होंगे। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने राइस मिलों के अंतिम फिजिकल सत्यापन की पूरी तैयारी कर ली है। 20 दिसंबर से मिलों में सत्यापन का काम शुरू हो जाएगा। मुख्यालय स्तर की टीमों के अलावा डीसी भी मिलों में धान खरीद के रिकॉर्ड व स्टॉक की जांच करेंगे। डीसी व मुख्यालय की टीमों की जांच में गड़बड़ी पाने पर विभागीय कार्रवाई के साथ ही अब आपराधिक केस भी दर्ज कराया जाएगा।

मिलर्स पर होने वाली कार्रवाई की सीधी रिपोर्ट जांच टीमें सीएम मनोहर लाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला व अतिरिक्त मुख्य सचिव खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पीके दास को भेजी जाएगी। किन मिलों की जांच की जानी है, उनका चयन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मुख्यालय में ड्रा के आधार पर किया जाएगा। तीनों स्तर पर होने वाले फिजिकल सत्यापन की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाएगी। जांच में जिन मिलों में गड़बड़ी पकड़ी जाएगी, उन पर मौके पर ही कार्रवाई होगी। मुख्यालय से गठित टीमें मिलों में औचक जांच करने पहुंचेंगी।

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रेस प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि राइस मिलों के साथ ही मंडियों के रिकार्ड का भी मिलान किया जाए। घोटाले की शुरूआत तो मंडियों से ही हुई है। कितने किसानों ने धान बेचा है, ये भी पता चलना चाहिए। याद रहे कि अलग-अलग विभागों के अधिकारियों की जांच टीमें पहले चरण में रिकार्ड व स्टॉक का मिलान कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी हैं।

जांच में स्टॉक कम पाए जाने पर होगी कानूनी कार्रवाई

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा है कि जिन मिलों में फिजिकल सत्यापन के दौरान स्टाक में गड़बड़ी पाई जाएगी, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। अगर जांच में यह पाया जाता है कि बिना धान खरीद गलत कागज दिखाकर मिलर्स ने राशि लेने का दावा किया है तो भी उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होगी। अंतिम फिजिकल सत्यापन का काम 8 से 10 दिन में पूरा कर लिया जाएगा।

ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम
मंडियों में धान खरीद के जाली जे-फार्म काटे गए। आढ़तियों व राइस मिलर्स के बीच पूरी सांठगांठ थी। एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में चावल लेकर आने व बेचने पर कोई टैक्स नहीं है, इसलिए राइस मिलर्स ने बड़े स्तर पर सस्ता चावल दूसरे प्रदेशों से मंगवाकर उसे फर्जी तरीके से बेचा दिखा दिया। किस मिल में कितना चावल बाहर से आया, उसका कोई सरकारी रिकार्ड नहीं होता, मिलर्स अपनी जानकारी के लिए गोपनीय रजिस्टर में स्टॉक दर्ज करते हैं।

जबकि, धान के कुल रकबे की पैदावार व सरकार की खरीद एजेंसियों द्वारा खरीदे गए धान का रकबा मिलाया जाए तो यह आंकड़ा 70 से 75 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच जाएगा, जबकि औसतन हरियाणा में धान की प्रति एकड़ मात्र 25 से 28 क्विंटल पैदावार होती है।

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