हरियाणा के बुजुर्गों और अन्य सामाजिक पेंशन लाभार्थियों को फिलहाल पुरानी पेंशन से ही गुजारा करना पड़ेगा। हर वर्ष की खातों में पेंशन बढ़कर नहीं पहुंचेगी। बुजुर्गों और अन्य सामाजिक पेंशन लाभर्थियों को पुरानी पेंशन ही वितरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और अगले आदेशों तक उन्हें पुरानी पेंशन राशि से ही गुजारा करना पड़ेगा। राज्य में 27,39,365 पेंशन लाभार्थी हैं, जिनमें करीब 16.55 लाख बुढ़ापा और लगभग 7.21 लाख बेसहारा विधवा पेंशन लाभार्थी हैं। जबकि शेष आठ वर्गों के सामाजिक पेंशन लाभार्थी हैं।
2014 में मनोहर सरकार-वन जब सत्ता में आई थी, तो ये वादा किया गया था कि बुढ़ापा व बेसहारा पेंशन एक हजार से बढ़ाकर दो हजार रुपये प्रति माह की जाएगी। सरकार ने वादे के मुताबिक हर साल हरियाणा दिवस यानी एक नवंबर से 200 रुपये प्रतिवर्ष पेंशन वृद्धि शुरू कर दी। इससे पांच साल में पेंशन 2 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच गई। इस बार अक्टूबर 2019 को फिर से विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा ने घोषणा पत्र में इस बार पेंशन दो हजार से बढ़ाकर 3100 रुपये प्रतिमाह करने का वादा किया था।
यानी भाजपा सरकार बनने के बाद हर साल हरियाणा दिवस पर 200 रुपये पेंशन वृद्धि होनी तय थी। इस बार भाजपा का चुनावी गणित थोड़ा गड़बड़ा गया और भाजपा सत्ता में तो आई, मगर जननायक जनता पार्टी (जजपा) और निर्दलीय विधायकों के सहयोग के साथ। इसलिए अब भाजपा-जजपा-निर्दलीयों कीइस नई गठबंधन सरकार में पेंशन वृद्धि का मसला फिलहाल उलझा हुआ है, जिसके चलते इस बार हरियाणा दिवस पर होने वाली पेंशन वृद्धि नहीं हो पाई।
बुजुर्गों व अन्य सामाजिक पेंशन लाभार्थियों को आस थी कि नई गठबंधन सरकार आते ही इस बार भी एक नवंबर से उनकी पेंशन सम्मानजनक ढंग से बढ़ेगी और दिसंबर में देय उनके खाते में पेंशन की राशि बढ़कर आएगी। फिलहाल ऐसा नहीं होगा, हरियाणा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने पेंशनधारकों के खाते में पुरानी पेंशन ही भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
यह फंसा है पेच
भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज हो जाती, तो लाजिमी नवंबर से ही पेंशन धारकों की पेंशन बढ़ा दी जाती। मगर जजपा का साथ और इसी मुद्दे पर जजपा के वादे ने बुजुर्गों की पेंशन बढ़ोतरी में पेच फसा दिया है, क्योंकि इस चुनाव में जजपा ने जनसेवा पत्र में बुजुर्गों की पेंशन 5100 रुपये प्रतिमाह करने और इसकी आयु सीमा भी अपेक्षाकृत कम करने का वादा किया था।
ऐसे में भाजपा का 3100 रुपये प्रतिमाह और जजपा का 5100 रुपये प्रतिमाह बुढ़ापा पेंशन के वादे ने इस मामले में ऐसा पेच फंसा दिया है, जिसका खामियाजा अगले आदेशों तक पुरानी पेंशन के रूप में ही बुजुर्गों व अन्य पेंशन लाभार्थियों को भुगतना पड़ेगा।
विशेष कमेटी के फैसले का इंतजार
भाजपा-जजपा के इस विरोधाभासी वादे का हल बीच के रास्ते से निकल जाए, इसके लिए सीएम मनोहर लाल ने गृहमंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में एक विशेष कमेटी गठित की हुई है। जिसमें भाजपा और जजपा नेता बतौर सदस्य शामिल हैं। इस कमेटी की मीटिंग हो चुकी है, जिसमें इस वादे के पूरा होने से बढ़ने वाले वित्तीय बोझ की आंकलन रिपोर्ट आला अफसरों से मांगी गई है।
रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही यह तय हो पाएगा कि वास्तव में बुजुर्गों की पेंशन 3100 रुपये प्रतिमाह होगी, 5100 रुपये होगी या फिर कुछ और?
पेंशन लाभार्थी झेल सकते हैं नुकसान
पेंशन बढ़ोतरी कितनी होगी, विशेष कमेटी इस पर फैसला जब लेगी, तब लेगी, लेकिन कशमकश में पेंशन लाभार्थियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार फिलहाल लाभार्थियों को पुरानी पेंशन ट्रांसफर की जाएगी। भविष्य में उनकी पेंशन कितनी बढ़ेगी, इसका फैसला बाद में होगा, लेकिन क्या पेंशन बढ़ोतरी के बाद पेंशन धारकों को एक नवंबर 2019 से ही इसका लाभ दिया जाएगा, क्या तब से उन्हें पेंशन बढ़ोतरी का बकाया दिया जाएगा? ये सवाल खड़ा रहेगा।
मगर विभागीय सूत्रों के अनुसार हरियाणा में आज तक पेंशन धारकों को पेंशन वृद्धि का कोई बकाया नहीं मिला है। ऐसे में यदि पेंशन बढ़ोतरी का फैसला और लेट होता गया, तो जाहिर है उतना नुकसान पेंशन धारकों को होता जाएगा।
पेंशन लाभार्थियों की पेंशन बढ़ाई जानी है, यह तय है। कितनी बढ़ेगी और कब से बढ़ेगी, इस पर सरकार जल्द निर्णय लेगी। इसलिए फिलहाल पुरानी पेंशन ही लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी। लाभार्थियों को पेंशन वृद्धि का बकाया दिया जाएगा या नहीं, यह निर्णय लेना सरकार का अधिकार क्षेत्र है।