विश्व बैंक ने हरियाणा में वायु प्रदूषण के मूल स्रोतों पर रोक लगाने के लिए 300 मिलियन डॉलर की एक महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह कार्यक्रम परिवहन, उद्योग और कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से हर साल सर्दियों में होने वाली पराली जलाने की समस्या पर व्यापक सुधारों को बढ़ावा देगा। यह परियोजना इंडो-गंगेटिक मैदान और हिमालयी तराई क्षेत्र के लिए तैयार क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन कार्यक्रम का हिस्सा है।
विश्व बैंक ने जहां उत्तर प्रदेश के लिए 299.66 मिलियन डॉलर की समान परियोजना को मंजूरी दी है, वहीं हरियाणा की योजना को 23.5 वर्ष की परिपक्वता अवधि और छह वर्ष की छूट अवधि दी गई है। यह इसकी दीर्घकालिक और संरचनात्मक सुधारों पर केंद्रित रणनीति को दर्शाती है।
एनसीआर के तीन जिले होंगे प्रमुख लाभार्थी
‘हरियाणा क्लीन एयर प्रोजेक्ट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ राज्य की बहु-क्षेत्रीय कार्ययोजना को बल देगा और प्रदूषण निगरानी प्रणालियों को मजबूत करेगा। यह परियोजना मुख्य रूप से एनसीआर के गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत जैसे जिलों को लाभ पहुंचाएगी, जो वायु गुणवत्ता सूचकांक में लगातार देश के सबसे प्रदूषित शहरी क्षेत्रों में शामिल रहते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना इलेक्ट्रिक बस सेवाओं, ई-थ्री-व्हीलर और शहरी गतिशीलता प्रणालियों के विकास को वित्तीय सहायता देगी। इससे अंतिम मील कनेक्टिविटी में सुधार होगा और विशेष रूप से महिलाओं के लिए रोजगार तक पहुंच बढ़ेगी। इसके अलावा, यह एमएसएमई इकाइयों को स्वच्छ औद्योगिक तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी और किसानों को पराली प्रबंधन उपकरण उपलब्ध करवाने में मदद करेगी, जिससे सर्दियों के धुएं में महत्वपूर्ण कमी आ सकेगी।
एआरजून वाहन करेगा समन्वय
हरियाणा सरकार ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ‘एआरजून’ नामक एक विशेष प्रयोजन वाहन का गठन किया है। परियोजना के टास्क टीम लीडर्स शार्लीन चिकगेर, लघु पाराशर और सौम्या श्रीवास्तव ने कहा कि परिवहन, कृषि, उद्योग और शहरी विकास में उत्सर्जन को नियंत्रित कर यह कार्यक्रम स्रोत पर ही प्रदूषण कम करने में मदद करेगा। साथ ही यह 127 मिलियन डॉलर से अधिक की निजी पूंजी को भी आकर्षित करेगा।
विश्व बैंक ने इसे भारत की पहली एयरशेड-आधारित स्वच्छ-वायु पहलों में से एक बताया है, जो क्षेत्रीय स्तर पर वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नई दिशा तय करेगी।