हिसार,  हिसार में उकलाना के भाजपा मंडल अध्‍यक्ष हर्षमोहन भारद्वाज ने भाजपा का दामन छोड़ दिया है। उन्‍होंने शनिवार को दीपेंद्र हुड्डा को मुकुट पहनाकर सम्‍मानित किया और कांग्रेस पार्टी ज्‍वाइन कर ली। उकलाना में हुए इस कार्यक्रम के दौरान हर्षमोहन भारद्वाज को दीपेंद्र ने पार्टी में पूरा मान सम्‍मान देने का आश्‍वासन दिया।

बता दें कि करीब एक साल पहले विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम मनोहर लाल द्वारा निकाली गई जन आर्शीवाद यात्रा के दौरान बरवाला में हर्षमोहन भारद्वाज ने मनोहर लाल को चांदी को मुकुट पहनाया था। इस पर सीएम मनोहर लाल इतने भड़क गए थे कि गर्दन काटने तक की धमकी दे डाली थी।

इसके बाद सभी को लग रहा था कि हर्षमोहन भारद्वाज बीजेपी छोड़ देंगे और दूसरी पार्टी ज्‍वाइन कर लेंगे। मगर तब‍ तक टिकट देने की घोषणा बाकी थी और हर्षमोहन भारद्वाज ने पार्टी नहीं छोड़ी। हर्षमोहन भारद्वाज को टिकट भी नहीं मिली और सीएम मनोहर लाल ने तब कहा था कि मैनें गर्दन काटने की बात गुस्‍से में आकर इसलिए कही कि भाजपा में रुपयों की मालाएं पहनाना और मुकुट भेंट करने का प्रचलन बंद हो चुका है। मेरे ही कार्यकर्ता ने ऐसा किया तो मुझे बुरा लगा। इस गलतफहमी को दूर कर लिया गया है और हर्षमोहन भारद्वाज हमारे साथ हैं। हर्षमोहन भारद्वाज ने भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा था कि गलतफहमी दूर हो गई है।

 

मगर इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में वायरल हो गया था। बहुत से लोग इस प्रकरण को लेकर आक्रोशित भी थे। वहीं रणदीप सुरजेवाला से लेकर दुष्‍यंत चौटाला ने भी सीएम मनोहर लाल के व्‍यवहार को लेकर सवाल उठाए थे। मगर चुनाव होने के बाद ये मामला धीरे धीरे शांत हो गया था।

अब करीब एक साल बीतने के बाद हर्षमोहन भारद्वाज ने कांग्रेस का साथ थाम लिया है। उकलाना में हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारद्वाज ने दीपेंद्र हुड्डा को मुकुट पहनाए जाने के सवाल पर कहा कि जो ताज मुख्यमंत्री को दिया था वह तो मुख्यमंत्री ले गए थे और वह मौज कर रहे हैं। दीपेंद्र को एक सांकेतिक ताज दिया गया है और यह ताज वह वापस वे महर्षि दधीचि ट्रस्ट को ही दे गए हैं। यह एक सामाजिक कार्यक्रम था इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में आए थे। कार्यक्रम में कोई राजनीति नहीं थी इसके बाद उन्होंने मेरे घर के भीतर आकर मुझसे रिक्वेस्ट की और उनकी रिक्वेस्ट पर मैं पार्टी में शामिल हुआ परंतु मेरी कोई ऐसी मंशा नहीं थी।