फरीदाबाद, जिंदगी कठिन तो है मगर उससे सरल बनाया जा सकता है काम कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता है बस कुछ मजबूरियों में करना पड़ता,छोटी सी आशा के साथ कुछ दिन पहले दिल्ली में बाबा का ढाबा वायरल हो रहा उसके बाद कई लोगो ने पसंद किया बल्कि उनके दुकान का स्वाद भी चखा, अब कई लोगो ने हाथ बढ़ाना शुरू कर रहे है
ऐसी ही एक घटना हरियाणा के फ़रीदाबाद जिले की है जहा अपने दो बेटे होने के बावजूद एक बुज़ुर्ग पिता को आखिर क्यूँ लगानी पर रही रेहड़ी,और साथ में करते है कचरे का भी काम तो आइये जानते है ?
कोई भी भिखारी नही होता बल्कि हालात से मजबूर होकर अपना जीवनवायपान करते ये सैक्टर 37 में रोज़ दिखाई देने वाला यह एक मजबूर पिता है इसके दो बेटे थे एक बेटा किसी कारणवश मर गया और एक बेटा जो किसी शीशे की दूकान पर काम करता था दुर्घटनावश अपाहिज हो गया।जो बेटा मर गया उसकी पत्नी के दो छोटे बच्चे भी हैं। जिसका लालन-पालन यह बाबा करता है। कहने को तो यह बाबा दालमूडी बनाकर बेचता है लेकिन कभी भी इससे किसी को दालमूडी ख़रीदते देखा नहीं। हमेशा सड़क के किनारे पर पड़े डब्बे,बोतलें,प्लास्टिक का सामान ढूँढते देखा है। लेकिन इतना समझ सकता ह कि जैसी इसकी दायनिय दशा है भीख भी माँग सकता था लेकिन बाबा खुद्दारी है कठिन म्हणत से बाबा कई लोगो पर मिशाल पेश करते है वही दूसरी तरफ कई लोग मेहनत नहीं करना चाहते ,
इसकी लकड़ी की गाड़ी में नीचे छोटे-छोटे कबाड़ है और ऊपर दालमूडी बनाने का समान जो दिखाई तो नही दिया। बाबा कि इस ख़ुद्दारी को देखकर पार्षद अजय बैंसला की तरफ से दो तीन महीने का राशन भी दिया था और साथ में उन्होंने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है मनुस्य की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है इस बाबा को परिवार की तरफ सहायता की हर सम्भव कोशिश की जाएगी
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