लॉकडाउन में हरियाणा में जिंदा दफन कर दी थी एक करोड़ मुर्गियां, अंडों के भाव में अब आया उबाल

फ़तहेदाबाद -कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में हरियाणा के पोल्ट्री फार्म मालिकों ने लगभग एक करोड़ मुर्गियां दफना दी थीं। इस कारण अब अंडे के भाव में उबाल आ रहा है। सर्दियां आने वाली हैैं। इस दौरान अंडों की खपत और बढ़ जाती है। इससे अभी अंडों के भाव और बढ़ेंगे।

वर्तमान में हरियाणा लगभग दो करोड़ मुर्गियां हैं, जबकि लॉकडाउन से पहले इनकी संख्या करीब तीन करोड़ थी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान अंडों की बिक्री न होने और फीड न मिलने के कारण विवश होकर मुर्गी पालकों लगभग एक करोड़ मुर्गियां जिंदा दफना दी थीं। इससे उत्पादन भी एक तिहाई घट गया है।

यदि लॉकडाउन से पहले अंडों के भाव पर नजर डालें तो फरवरी-मार्च में थोक में प्रति अंडा 3.30 रुपये मिल रहा था, जो अब छह रुपये के नजदीक पहुंच गया है। रिटेल में 30 अंडों की ट्रे 165 रुपये में बेची जा रही है। प्रदेश के बड़े अंडा व्यवसायी राजू मोर कहते हैं कि हरियाणा से प्रति दिन दो से सवा दो करोड़ अंडे की आपूर्ति होती है। अंडा उत्तर प्रदेश , बिहार व पूर्वोत्तर के प्रदेशों असम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड आदि में होती है। नए फार्म शुरू करने में बहुत खर्चा है। इस इस कारण अभी अंडों के भाव कम नहीं होंगे।

देशभर में 24 मार्च को लॉकडाउन शुरू हुआ था और 30 मई तक लोग घरों में रहे थे। इस कारण अंडों की बिक्री बंद हो गई थी। ट्रांसपोर्ट बंद होने से लेयर फार्म यानि अंडा फार्मों पर फीड (मुर्गियों के भोजन) की कमी हो गई थी। लेयर फार्मों से कोई एक रुपये में भी अंडा उठाने को तैयार नहीं था। इससे मुर्गी पालकों को लगातार घाटा हो रहा था।

घाटे से बचने के लिए हरियाणा में ही मुर्गी पालकों ने करीब एक करोड़ मुर्गियों को जिंदा ही दफना दिया औने-पौने दामों में बेच दिया था। प्रदेश के लगभग 25 फीसद पोल्ट्री फार्म बंद हो गए थे। इधर, लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिम खुलने और गर्मी कम होने से अंडों की मांग बढ़ी है। संक्रमण से बचाव के लिए लोग अंडों का उपयोग कर रहे हैैं। एक्सरसाइज करने वाले युवा भी इसे प्राथमिकता देते हैैं, क्योंकि अंडों में भरपूर प्रोटीन होता है।

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