कपास मंडी में भाकियू ने किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ जिलास्तरीय धरना आजाद पालवां की अध्यक्षता में दिया। यह धरना 19 सितंबर तक यहां पर जारी रहेगा। धरने के माध्यम से केंद्र सरकार को तीन अध्यादेशों को वापस लेने, पिपली में लाठीचार्ज का आदेश देने व लाठीचार्ज करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने व जिन किसानों के खिलाफ मामले दर्ज हैं वह वापस लेने की मांग की गई।
आजाद पालवां ने कहा कि तीन अध्यादेशों को सरकार वापस ले। जो अध्यादेश केंद्र सरकार लेकर आई है वह किसान और आढ़ती विरोधी हैं। इन अध्यादेशों को लेकर जो कमेटी सांसदों की बनाई गई वह सिर्फ किसानों को गुमराह करने के लिए बनाई गई है। किसान आंदोलन कोई राजनीति पार्टी से संबंध नहीं रखता है, लेकिन जानबूझ कर गठबंधन सरकार के नेता इसको राजनीति पार्टी के साथ जोड़ रहे हैं, ताकि यह आंदोलन सफल नहीं हो। किसान इस तरह के बहकावे में नहीं आएंगे। किसानों को पता है कि जो अध्यादेश केंद्र सरकार लेकर आ रही है, उनके आने के किसानों व आढ़तियों को नुकसान होगा। उन्होंने का कि किसान हितैषी होने के अध्यादेश होने का राग भाजपा व जजपा नेता अपना रहे हैं। वे खुले मंच से बताएं कि कैसे किसानों को इसका फायदा होगा और कैसे मंडी इससे प्रभावित नहीं होगी। यह अध्यादेश पूरी तरह से पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बने हैं। पिपली में जो लाठीचार्ज हुआ है, उस पर अब तक मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कोई बयान तक नहीं दिया है। इससे साफ रूप से भाजपा की मंशा किसानों को लेकर नजर आने लगी है। प्रदेश के गृहमंत्री कहते हैं कि लाठीचार्ज हुआ हीं नहीं, जबकि उपमुख्यमंत्री लाठी चार्ज की जांच की मांग करते हैं। गठबंधन नेताओं में ही एक राय किसी बात को लेकर नहीं है। भाकियू के जिलाध्यक्ष लीलूराम, सर्व जातीय दाडन खाप चबूतरा पालवां के प्रधान दलबीर खटकड़, पूर्व प्रधान रमेश मखंड, राजपाल राठी, सत्यनारायण, जयदेव, चांदीराम करसिंधु, रामपाल झील, लीलूराम, बलवंत मोर, महाबीर मंगलपुर, सुरेंद्र श्योकंद, उमेद लोहान, रणधीर सिंह, सत्यवान दनौदा, अशोक, टेकराम, बीरा घोघड़ियां, मनोज नचार, सत्तू रेढू, सुशील सिहाग, सतीश लोहान व कवंरपाल सिरोहा मौजूद रहे।