रामलला मंदिर निर्माण से पहले 1996 से 2020 तक 24 वर्ष तक बचपन स्वरुप श्री राम जी एक कपडे के टेंट में रहे, इस स्थान पर जन्म भी हुआ और जीवन का अधिकतम समय यही बिताया.
पहली बार बनवास से पहले जब श्री राम व लक्षमण जी को गुरु विश्वामित्र अपने साथ जहाँ ले गए तो वह स्थान वर्तमान में छत्तीसगढ़ है.
जनकपुर, जहाँ माता सीता का जन्म हुआ वह वर्तमान में नेपाल देश में आता है
ये वो विवाह मंडप है जहाँ माता सीता व पुरुसोत्तम श्री राम जी का शुभ विवाह संपन्न हुआ था, ये मंडप आज भी नेपाल देश में है.
नेपाल देश के जनकपुर पैलेस में आज भी जानकी मंदिर विद्यमान है
श्रीलंका देश में जंगल में जहाँ माता सीता रही थी, सीता कुटवा
जहाँ माता सीता रही थी अपहरण के बाद उसी अशोक वाटिका में आज उनका एक भव्य मंदिर है
ये किसकिन्धा राज्य के पैलेस का अवसेस है जहाँ पर सुग्रीव का राज्यभिसेक हुआ था और जिस राज्य के लिए बालि का वध भी हुआ
अतुलित बल का जगता प्रमाण है ये दोलुकंदा संजीवनी पर्वत जिसको हनुमान जी हिमालय से लेकर श्रीलंका आये थे जब लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा था
चार प्रमुख तीर्थो में से एक रामेश्वरम जहाँ स्वयं श्री रामचन्द्र जी ने शिव जी की आराधना की थी शिव लिंग की स्थापना करके पूजा की थी
पंचवटी एक प्रमुख स्थान है रामायण में जहाँ से सीता हरण हुआ , खर दूषण का वध हुआ, सूर्पनखा का संवाद हुआ, मारीच वध हुआ.
ये वही स्थान है जब रावण असमान में रथ से युद्ध लड़ रहा था और राम जी के लिए इन्द्रलोक से हवा में उड़ने वाला रथ आया था, आज उस पर्वत को राम्बोधा रावनबोधा पर्वत के नाम से श्रीलंका देश में जाना जाता है.
जब दुष्ट रावण माता सीता का हरण करके लंका लेकर पुष्पक विमान से जा रहा था तो गिद्द्राज जटायु से युद्ध हुआ, और जटायु इसी स्थान पर गिरे थे आज उस स्थान को जटायु हिल के नाम से जाना जाता है जो भारत के केरल राज्य में स्थित है और एक भव्य मूर्ति भी बने गयी है जिसमे गह्यल जटायु को दिखाया गया है .
१९९२ के पहले अयोध्या में चारो भाई राम लक्षमण भारत शत्रुघ्न की बचपन की मुर्तिया इस प्रकार से रखी हुई थी जो ६ दिसंबर १९९२ से, एक मूर्ति ही रह गयी थी
श्रीलंका देश में सिगिरिया स्थान पर रावन के पैलेस का अवसेस आज भी है जिसका सामने से किसी जानवर के बड़े पंजे और नाख़ून की आकृति दिखती है
जब तक मैप की तकनिकी नहीं आई थी जब तक मात्र कोरी कल्पना ही लगता था लेकिन बाद में असमान से जब पहली तश्वीर आई तो सबके होश उड़ गए आज भी इसे रामसेतु के नाम से जाना जाता है जो की भारत के केरल राज्य से श्रीलंका तक का एक प्राचीन पैदल मार्ग सा प्रतीत होता है
ये वो स्थान है जब रावण की मृत्यु के बाद विभीषण का राज्याभिषेक किया गया था औश्री राम चन्द्र जी के हाथो, ये स्थान आज भी श्रीलंका देश की राजधानी कोलम्बो में केलनिया रजा महावीराय के नाम से जाना जाता है
ये पोथिगाई पर्वत है जहाँ आदि ऋषि अगस्त्य रहते थे, इसी स्थान पर राम से ऋषिवर की भेट हुई थी, एक कथा के अनुसार अगस्त्य ऋषि समग्र समुद्र को एक बार पी गए थे और इनके ही आशीर्वाद से और दिशानिर्देश पर राम ने समुद्र से रास्ता लिया था.
आगे बढे चले दोउ भाई, रिशिमुक पर्वत नियराइ, ये चौपाई तुलसीकृत रामायण के सुन्दरकाण्ड में दर्ज है, ये वही रिशिमुक पर्वत है जहाँ राम और हनुमान जी का प्रथम भेट हुई थी, इसी पर्वत पर सुग्रीव छिपे थे जहाँ बाली को श्राप था की वो वहां नहि आ सकता
ये नुवारा एलिया सिर्लंका का वो स्थान है जहाँ आशिक वाटिका में हनुमान जी की माता सीता से भे हुई थी, इसी जगह पर रावण से माता सीता को बंधक बनया हुआ था जहाँ हमेशा राक्षसिया पहरा देती थी.
जब श्रीराम बनवास के लिए निकले थे तो उत्तर प्रदेश के इलाहबाद के पास श्रीन्ग्वीर पुर स्थान पर केवट से मिले थे जिसने उनको नदी पार कराइ थी और उनकी परीक्षा लेने के बहाने पैर धोये थे
ये पेंटिंग रजा रामचंद्र जी के राज्याभिषेक को दर्शाती है, जहाँ सभी हर्षित है चाहे वो मानव हो पशु हो या पक्षी.
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