27 दिसंबर से 4 जनवरी के बीच काजा में पारा माइनस 30 और कोकसर में माइनस 27 डिग्री तक रहा है। लाहौल घाटी में करीब 70 फीसदी नल जम गए हैं। सरकारी कार्यालयों के ऊपरी मंजिल के सभी शौचालय जम गए हैं। घरों में रखे गए खाद्य पदार्थ भी ठोस बर्फ में बदल गए हैं। सरसों तेल से लेकर टमाटर, सेब, आलू समेत भंडार की गई सब्जियां भी जम गई हैं। पानी के स्रोत ठोस बर्फ में बदल गए हैं। चंद्रा-भागा नदियों से साथ नालों का जल स्तर घट गया है। हीटरों के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली की खपत बढ़ गई है। ठंड का दौर लंबा ख्ंिाचा तो कई घरों में लकड़ी का भंडारण खत्म हो जाएगा।
जनजातीय क्षेत्रों में मध्य मार्च तक रहेगा ठंड का कहर
केलांग के पूर्व पंचायत प्रधान नवांग उपासक (55) का कहना है कि उन्होंने आज तक ठंड की इतनी लंबी अवधि नहीं देखी है। इससे पहले 15 दिन तक अत्यधिक ठंड होती थी, लेकिन इस बार करीब ढाई महीने से अधिकतम पारा माइनस 6 डिग्री से नीचे नहीं उतरा है। न्यूनतम तापमान अभी भी माइनस 12 से 13 डिग्री है। दोरजे, रमेश, सुनील और किशन ने बताया कि ठंड के कारण शाम पांच बजे के बाद केलांग में सन्नाटा पसर जाता है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि जनजातीय इलाकों में मध्य मार्च तक ठंड का कहर जारी रहेगा। इस बार जल्द बर्फबारी से ठंड ने एक माह पहले दस्तक दी है। जो ठंड जनवरी में पड़ती थी, वह इस बार नवंबर अंत में ही शुरू हो गई है। कई साल बाद हिमाचल के 9 जिलों में एक साथ बर्फबारी हुई है।