पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा उठाए गए सवालों के बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा है। शुक्रवार को पार्टी के पूर्व प्रधान प्रताप बाजवा ने मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लिखकर एजी अतुल नंदा की नियुक्ति पर सवाल उठाए और उन्हें हटाने की मांग की।
इस पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बाजवा को दो-टूक जवाब देते हुए कहा कि एजी के कामकाज पर किंतु-परंतु करने का आपका काम नहीं है। दूसरी ओर, एजी अतुल नंदा ने कहा है कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। वहीं, उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के शाम को मुलाकात करते एक पत्र सौंपा है। इससे पहले शुक्रवार को दिन भर अतुल नंदा के इस्तीफे की चर्चा जोरों पर रही।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बाजवा ने कहा कि परिवारवाद प्रदेश के हितों के खिलाफ है और अतुल नंदा की एजी के तौर पर नियुक्ति इसकी मिसाल है कि उन्हें इसीलिए नियुक्त किया गया क्योंकि वे मुख्यमंत्री के करीबी हैं। उन्होंने लिखा कि एजी की अयोग्यता इससे भी साबित होती है कि विभिन्न फौजदारी मामलों में वे प्रदेश के हितों की रक्षा करने में असफल रहे। बाजवा ने अपने पत्र में कई केसों का उल्लेख भी किया।
बाजवा के पत्र के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बयान जारी कर एजी नंदा को हटाने की मांग को बेतुका और अनुचित बताते हुए प्रताप बाजवा से कहा कि वह मेरी सरकार के कामकाज से बाहर रहें, जिसके बारे में वे पूरी तरह अंजान हैं। मुख्यमंत्री ने बाजवा के पत्र को सियासी शोहरत कमाने के लिए तिलमिलाने की निशानी बताया।
कैप्टन ने कहा, ‘‘मुझे एडवोकेट जनरल में पूर्ण विश्वास है।’’ बाजवा के पत्र पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अतुल नन्दा की काबिलियत को समझने के आप न तो समर्थ हो और न ही योग्य और जिन मसलों संबंधी आपको कुछ पता ही नहीं है, उन पर किंतु-परंतु या दखलअंदाजी करने का आपका कोई मतलब नहीं।’’