सैकड़ों साल पहले जब दादूपुर गांव में जमीन के अंदर से खुदाई के दौरान एक शिवलिंग निकला तभी से यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना है। यहां साल में दो बार बड़ा मेला लगता है। सावन माह व महाशिवरात्रि पर हजारों शिवभक्त यहां कांवड़ लेकर पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के पुजारी अकाशपुरी ने बताया कि मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में एक कुएं की खुदाई के दौरान एक पत्थरनुमा शिवलिंग पर चोट लगी तो उसमें से दूध की धारा बह निकली। तभी खुदाई का कार्य रोक दिया गया। दो-तीन दिन बाद यह शिवलिंग जमीन से स्वयं दो-तीन फुट ऊपर आ गया। इसमें से दूध की धारा निकलने से इसका नाम दूधेश्वर महादेव नाम पड़ गया।