हरियाणा के बहादुरगढ़ में सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन करने के दौरान एनसीआर माइनर में बहे तीनों युवकों के शवों को बरामद कर लिया गया है। शहर की कॉलोनी छोटूराम नगर के पांच युवक मूर्ति विसर्जन करते समय नहर में बहे थे।एसडीआरएफ व पुलिस कर्मचारियों को तलाशी अभियान के दौरान हादसा स्थल से कुछ दूरी पर नहर के पुल के आसपास तीनों शव मिले। मंगलवार की सुबह करीब 10 बजे गौरव का शव मिला तो उसके कुछ समय के बाद शैलेश और दिलखुश का शव मिला। सोमवार रात को तलाशी अभियान में बाधा आने के कारण अभियान को बंद करना पड़ा। मंगलवार की सुबह तलाश फिर शुरू की गई तो तीनों को तलाशने के लिए गोताखोरों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी। बसंत पंचमी पर छोटूराम नगर में सरस्वती पूजा उत्सव शुरू हुआ था। सोमवार शाम को पूजन संपन्न होने के बाद कुछ युवाओं की टोली प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए दिल्ली-रोहतक रोड स्थित रोहद के पास से गुजर रही एनसीआर नहर पर पहुंची। कुछ ही पलों में बहते हुए युवक राजू व सोनू नहर की दूसरे पुश्ते की ओर पहुंचे तो बाहर खड़े लोगों ने उन्हें खींच लिया। इससे दोनों की जान बच गई। लेकिन गौरव, शैलेश व दिलखुश का पता नहीं चल पाया। मौके पर मौजूद लोगों ने पुलिस को कॉल की और रेस्क्यू टीमों को भी सूचना दी। थाना आसौदा से कार्यवाहक एचएचओ अंकित की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने अपने स्तर पर नहर में तलाशी अभियान भी चलाया। पर्याप्त रोशनी का इंतजाम नहीं होने से पुल के नीचे से तलाशी अभियान चलाने में बचाव दल को दिक्कत हुई. मंगलवार की सुबह फिर युवकों की तलाश शुरू की गई। करीब 10 बजे गौरव का शव घटनास्थल से कुछ दूरी पर पुल के पास फंसा हुआ मिला और उसके बाद शैलेश का शव करीब आधा घंटे बाद मिला। इसके करीब डेढ़ घंटे बाद दिलखुश का शव करीब 30 से 40 मीटर की दूरी पर मिला। वहीं दूसरी ओर आक्रोशित परिचितों व अन्य लोगों ने पुलिस पर तीनों युवकों की तलाश में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और देर रात को रोहतक रोड पर जाम लगाने का प्रयास किया।
बहन के पास रहता था गौरव, शैलेश राशन तो दिलखुश कपड़े की दुकान पर करता था काम
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के गांव बांसखेड़ा का 19 वर्षीय गौरव अपनी बहन के पास छोटूराम नगर में ही रह रहा था और प्राइवेट जॉब करता था। लगभग 19 वर्ष का शैलेश बिहार के सिवान का रहने वाला था और उसका परिवार कई साल से छोटूराम नगर में रहता था। वह राशन की दुकान में काम करता था। करीब 22 वर्षीय दिलखुश कपड़े की दुकान में काम करता था और छोटूराम नगर में अकेला रहता था। वह बिहार का रहने वाला था। गौरव के परिचितों ने बताया कि गौरव के फोन पर करीब साढ़े 9 बजे तक कॉल जाती रही लेकिन उसके बाद उसका फोन बंद हो गया। गौरव को कुछ तैरना आता था लेकिन शैलेश व दिलखुश तैरना नहीं जानते थे। पहले ये युवक और इनके साथी युवक सांपला के पास एक छोटी नहर में प्रतिमा विसर्जित करना चाहते थे .