जिले के 25 जर्जर उप स्वास्थ्य केंद्रों के नए भवन बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने पुराने भवनों को तोड़ने का एस्टीमेट तैयार कर लिया है। इन भवनों को तोड़ने पर करीब ढाई लाख रुपये लागत आएगी। वहीं, स्वास्थ्य विभाग इनकी जगह नए भवन बनाने की डिमांड पहले ही मुख्यालय भेज चुका है। डिप्टी सीएमओ डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि भवनों को तोड़ने की बजट राशि जल्द ही पीडब्ल्यूडी को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने करीब छह माह पहले जिले के 35 जर्जर उपस्वास्थ्य केंद्र भवनों की सूची तैयार की थी। इसके बाद यह सूची पीडब्ल्यूडी को भेजी गई थी। पीडब्ल्यूडी की ओर से इन उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचकर निरीक्षण किया गया था और करीब तीन माह पहले ही पीडब्ल्यूडी ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपी थी। विभाग ने 25 भवनों को कंडम घोषित किया था, जबकि 10 में मरम्मत की दरकार बताई थी।इन पर अमल करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पीडब्ल्यूडी से भवनों को गिराने का एस्टीमेट तैयार करने के लिए दो माह पहले पत्र लिखा था। हाल ही में पीडब्ल्यूडी ने भवनों को गिराने पर करीब ढाई लाख रुपये खर्च आने का एस्टीमेट तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह एस्टीमेट मुख्यालय भेज दिया है और जल्द ही इसके लिए बजट राशि मिलने की उम्मीद है। इसके तुरंत बाद यह राशि पीडब्ल्यूडी को ट्रांसफर कर जर्जर भवनों को गिराने की कवायद शुरू कर दी जाएगी।
बैठने तक की जगह नहीं, स्टाफ व मरीज दोनों परेशान
उप स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात स्टाफ भी बेहद परेशान है। उन्हें बैठने तक की जगह मुहैया नहीं हो पा रही। सूत्रों के अनुसार उप स्वास्थ्य केंद्रों का स्टाफ किसी गांव में पंचायत घर में तो किसी में लोगों के घर एक कमरा लेकर बैठ रहा है। दूसरी ओर जगह का अभाव होने के कारण इन उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्वास्थ्य सेवाएं भी बेपटरी हैं। करीब एक लाख की आबादी को इन 25 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्धारित मापदंडों के अनुसार चिकित्सीय सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।
एक उप स्वास्थ्य केंद्र की दैनिक ओपीडी आठ से दस के बीच रहती है। कुछ स्वास्थ्य केंद्र ऐसे भी हैं जहां ओपीडी 15 तक पहुंच जाती है। इन 25 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिदिन आने वाले 200 से अधिक मरीज इस समय परेशानी झेल रहे हैं।