Haryana: पढ़ी-लिखी बहू और अनपढ़ सास की जुगलबंदी से ढाणी में रोशन हुई मोहल्ला पाठशाला

नूंह जिले में स्वयंसेवी युवाओं की सहायता से चल रही मोहल्ला पाठशालाएं आए दिन शिक्षा के प्रचार-प्रसार और तरक्की के नए अयाम स्थापित कर रही हैं। इसमें नया अयाम स्थापित करने में इस बार सास-बहू की जुगलजोड़ी ने महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। पढ़ी बहू और अनपढ़ सास की इस जुगलजोड़ी ने गांव की उस ढाणी में भी मोहल्ला पाठशाला की शुरुआत कर दी जहां बालिका शिक्षा को लेकर लोग गंभीर थे। इनके अथक प्रयास से गांव भोंड की इस ढाणी में अब मोहल्ला पाठशाला की शुरुआत हो चुकी है।

शुरुआती दिनों में कई लड़कियों ने यहां पढ़ने आना शुरु कर दिया है। इन दोनों के प्रयास को सामाजिक एवं शिक्षा की बेहतरी के लिए कार्य कर रही केयर इंडिया की टीम ने सराहा है और उन्हें सम्मानित भी किया है। इस बारे में केयर इंडिया की एकेडमिक कार्डिेनेटर अफसाना बानो और डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स ग्रुप की सदस्य कुसुम मलिक ने बताया कि मुस्कान एक पढ़ी लिखी बहू है जबकि उसकी सास अंगूठा टेक है। लेकिन इनके सांझा प्रयास से ढाणी में मोहल्ला पाठशाला की शुरुआत हो गई है। गांव से अलग ढाणी में पाठशाला चलाने की योजना दोनों सास-बहू ने मिलकर बनाई है। ये दोनों समाज के लिए आइडल हैं।

मोहल्ला पाठशाला चलाने में अपनी बहू मुस्कान का सहयोग करने वाली सास नज्जा ने बताया कि वो खुशनसीब है जिसे पढ़ी लिखी बहू मिली है। पढ़ी लिखी बहू उसके लिए सबसे बड़ा दहेज है। मुस्कान ने 10वीं तक पढ़ाई की है। लेकिन अब उसे आगे की पढ़ाई के लिए कुसुम मलिक द्वारा मोटिवेट किया गया है। वो बहू को अब आगे पढ़ाना चाहती है।

बहू मुस्कान ने भी आगे पढ़ने की इच्छा जताई है। हांलाकि ससुराल की बंदिशों के चलते वो आगे की तालीम हांसिल करने से महरूम चली आ रही थी। लेकिन उसने अब पढ़ने श्रेष्ठा फिर से जागृत की है। मुस्कान ने बताया कि वो अपनी सास के सहयोग से मोहल्ला पाठशाला की शुरुआत कर सकी हैं। अगर सास बाहर जाने नहीं देती तो ये संभव नहीं था। लेकिन मेरी सास ने उसे मोहल्ला पाठशाला खुलवाने में न उसका सहयोग किया बल्कि उसे प्रेरित भी किया।

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