बरोदा के उपचुनाव में बागियों से बिगड़ सकता है सियासत का खेल, जजपा कांग्रेस के साथ पार्टियों ने बनायीं खास रणनीति बागियों के हाथ बरोदा का ताज

हिसार -हरियाणा में पिछले साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव के करीब एक साल बाद ही सभी राजनीतिक दल एक फिर परीक्षा के दौर से गुजरने वाले हैं। इस बार सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट को जीतने के लिए राजनीतिक दलों के बीच खुला रण होगा। प्रदेश में हालांकि एक ही विधानसभा सीट पर उपचुनाव है, लेकिन इस उपचुनाव के नतीजे राजनीतिक दलों के प्रति लोगों की सोच और भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने वाले साबित हो सकते हैं। सभी दलों ने इसके लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है, लेकिन बागी उपचुनाव में सभी दलों के सियासी खेल को बिगाड़ेंगे।

♦ विधानसभा चुनाव के एक साल बाद फिर अपनी ताकत परखेंगे राजनीतिक दल

सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन, कांग्रेस और इनेलो ने हालांकि अपने-अपने दलों की रणनीति तैयार कर ली है, लेकिन एक दूसरे की रणनीति को जाने बिना कोई दल अपने पत्ते खोलने की पहल करने को तैयार नहीं है। जाट बाहुल्य बरोदा विधानसभा सीट पर पहले इनेलो और अब कांग्रेस का कब्जा रहा है।

बरोदा के रण में हाल-फिलहाल जो माहौल नजर आ रहा, उसे देखकर लग रहा कि यहां धीरे-धीरे काफी चौंकाने वाले बदलाव होंगे। टिक ट के दावेदार नेताओं को यदि उनकी पार्टी से टिकट नहीं मिले तो वह ऐन वक्त पर दलबदल कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने विभिन्न दलों से नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर दस विधायक जीतने में सफलता हासिल की थी। भाजपा-जजपा गठबंधन बरोदा में कोई चौकाने वाला चेहरा मैदान में उतार सकता है।इस रणनीति पर मनोहर लाल, दुष्यंत चौटाला व ओमप्रकाश धनखड़ के बीच मंत्रणा हो रही है।

♦  भाजपा में प्रो. रामबिलास शर्मा व बबीता फाेगाट के नामों पर मंथन

कांग्रेस और इनेलो ने यदि जाट उम्मीदवार दिया तो भाजपा-जजपा गठबंधन गैर जाट मजबूत उम्मीदवार के रूप में पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा के नाम पर विचार कर सकती है। रामबिलास को इसके लिए इशारा मिला हुआ है। खेल विभाग की उपनिदेशक बबीता फोगाट ने हाल ही में दूसरी बार सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा कि बबीता फोगाट की सेवाएं बिहार और बरोदा चुनाव में ली जा सकती है, लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि जाट और महिला होने का फायदा देकर बबीता फोगाट को बरोदा के रण में उतार दिया जाए।

बबीता दादरी से चुनाव लड़ चुकी हैं, मगर कुछ मतों से पराजित हो गई थी। भाजपा के पास पिछला चुनाव लड़ चुके अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त, कपूर नरवाल, जजपा से चुनाव लड़ चुके भूपेंद्र मलिक और पंडित उमेश शर्मा के रूप में मजबूत उम्मीदवार है। योगेश्वत दत्त काफी सक्रिय हैं और लोगों से खूब मिल-जुल रहे हैं। भूपेंद्र मलिक ने पिछला चुनाव जजपा के टिकट से लड़ा था। यदि कपूर नरवाल और भूपेंद्र मलिक को चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया तो दोनों पाला बदलते देर नहीं लगाएंगे।

♦  हुड्डा के सामने बरोदा का पहलवान चुनने की चुनौती

कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की भी लंबी फेहरिस्त है। कांग्रेस के दिवंगत विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की पुत्रवधू गायत्री हुड्डा की यहां मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। उनके बेटे जितेंद्र हुड्डा, भाजपा के टिकट पर सांसद रह चुके स्व. किशन सिंह सांगवान के बेटे कांग्रेस नेता प्रदीप सांगवान और कर्नल रोहित चौधरी की कांग्रेस में दावेदारी मजबूत है।

कांग्रेस की ओर से भाजपा नेता कपूर नरवाल को अपने पाले में लाने की कोशिश की जा रही है, जबकि भाजपा की रणनीति यह भी है कि जजपा से चुनाव लड़ चुके भूपेंद्र मलिक को इनेलो के टिकट पर किसी तरह चुनाव लड़वा दिया जाए, ताकि जाट वोट कट सकें। वैसे भाजपा-जजपा गठबंधन का उम्मीदवार कांग्रेस प्रत्याशी पर ही तय करेगा।

♦  अभय के तरकश में अर्जुन और मलिक के तीर

इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला बरोदा में मजबूती से चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं। उनके पास अपने बेटे अर्जुन चौटाला को लड़वाने का विकल्प खुला है। अर्जुन ने कुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव लड़ा था। इनेलो के पास पिछला चुनाव लड़ चुके सुरेंद्र सिंह सिरसढ़ा और भूपेंद्र मलिक के नाम भी पाकेट में हैं। गठबंधन ने यदि मलिक को टिकट नहीं दिया तो वह इनेलो के पाले में खड़े नजर आ सकते हैं। यह चुनाव सीधे तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला की राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है।

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