देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से नए रोजगार के अवसर घटे हैं। अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने के साथ रोजगार के मौके बढ़ाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। इससे पार पाने के लिए आम बजट में बड़े ऐलान होने की उम्मीद है। इसके तहत सरकार बड़े पैमाने पर राजगार मुहैया कराने वाले कई सेक्टर को प्रोत्साहन पैकेज और प्रमुख योजनाओं में बजट आवंटन बढ़ाएगी। सरकारी सूत्रों से ‘हिन्दुस्तान’को यह जानकारी मिली है।
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय को उद्योग और आतंरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से मिली चिट्ठी में आने वाले वित्त वर्ष के लिए बजट में रकम बढ़ाने की मांग की गई है। देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए सरकार का पूरा दारोमदार मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी स्कीमों पर है। इस मद में बजट रकम में इजाफा किए जाने के बाद न सिर्फ नई कंपनियों के आने की संभावना बढ़ जाएगी बल्कि नौकरियों के भी नए मौके आएंगे। साथ ही सरकार छोटे और मझोले उद्योगों को भी रियायत दे सकती है।
तीन साल तक नहीं होगी कोई जांच
जानकारी के मुताबिक सरकार इस सेक्टर को तीन साल तक किसी भी जांच के दायरे से बाहर रखेगी। इन कंपनियों की तरफ से दाखिल की गई जानकारी को ही अंतिम माना जाएगा। कारोबार में सुगमता के लिहाज से उद्योग जगत के प्रतिनिधियों की तरफ से लगातार की जा रही इस मांग पर भी वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है।
महिलाओं कर्मचारियों के बेहतरी पर जोर
पिछले कुछ सालों में महिलाओं को मिलने वाली नौकरी में आई कमी को देखते हुए सरकार बजट में इस मोर्चे पर भी नऐ ऐलान कर सकती है। वित्त मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसमें महिला कर्मचारियों को नौकरी देने वाले सेक्टर को प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रस्ताव के मुताबिक की तर्ज पर विनिर्माण क्षेत्र में महिलाओं को नौकरी देने के लिए एक नई प्रोत्साहन वाली नीति आ सकती है।
सामाजिक सुरक्षा का जिम्मा उठा सकती है सरकार
श्रम मंत्रालय ने भी एक सुझाव वित्त मंत्रालय में भेजा है जिसके मुताबिक ज्यादा नौकरियां देने वाले सेक्टरों में रखे गए कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा का जिम्मा सरकार भी उठा सकती है। जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकार प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना नियमों में बदलाव कर सकती है।
प्रस्तावित नई योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के उद्योगों को भी सरकार राहत देने पर विचार कर सकती है। इन चीजों के लिए केंद्र सरकार को संबंधित मंत्रालयों के लिए बजट में अतिरिक्त रकम का प्रावधान करना पड़ सकता है।
डीडीटी को खत्म करने का ऐलान संभव
बजट में शेयर बाजार निवेशकों को बड़ी राहत मिल सकती है। बजट में लाभांश वितरण कर (डीडीटी) हटाने का ऐलान हो सकता है। साथ ही डिविडेंड पर 20 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिल सकता है, लेकिन लंबी अवधि पूंजीगत लाभ कर पूरी तरह हटने के आसार कम हैं। बजट में छोटे निवेशकों को राहत मिल सकती है, लेकिन बड़े को झटका लग सकता है। लाभांश पाने वाले पर कर चुकाने की जिम्मेदारी आ सकती है। लाभांश को कुल आमदनी का हिस्सा माना जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक लाभांश पर आयकर की दरें लागू हो सकती हैं। डिविडेंड पर 20 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिल सकता है। वहीं, निचले स्लैब में आने वालों को कम टैक्स चुकाना पड़ सकता है।