जनवरी में अब तक तीन पश्चिम विक्षोभ, दो अगले 7 दिन में आएंगे

जनवरी में तीन पश्चिम विक्षोभ से जहां प्रदेश में खड़ी करीब 26 लाख हेक्टेयर गेहूं व साढ़े छह लाख हेक्टेयर में सरसों के अलावा दलहन व तिलहन की फसलों को लाभ हुआ है, वहीं कहीं-कहीं ओले पड़ने से फसलों को नुकसान भी हुआ है।

सबसे बड़ी बात यह है कि दो बरसातों का पानी रिमझिम के रूप में बरसा है, इससे भू-जल में लाभ होगा। हालांकि बड़ा लाभ तो नहीं होगा, लेकिन जिस तरह से पिछले साल 0.40 मीटर तक पानी हरियाणा में नीचे गया है और धान की रोपाई से नीचे जा रहा है, इसमें काफी लाभ मिल सकेगा। चूंकि 15 व 18 को फिर से पश्चिम विक्षोभ के असर से बरसात हो सकती है, इससे भी पानी जमीन में जा रहा है। फसलों को तो लाभ हो रहा है, लेकिन भू-जल में भी इससे लाभ होगा। यही नहीं एक जनवरी से अब तक तीन पश्चिम विक्षोभ आ चुके हैं, दो जल्द आने की संभावना है, इससे फसलों में दो सिंचाई का काम चल जाएगा। जनवरी में प्रदेश में 9 एमएम से अधिक बरसात हो चुकी है, जो सामान्य से करीब 89 फीसदी अधिक है।

हरियाणा के पूर्व चीफ हाईड्रोलाजिस्ट सुरेंद्र बिश्नोई का कहना है कि जनवरी में जिस तरह से पश्चिम विक्षोभ के कारण बरसात हो रही है, बरसात का पानी भी फ्लड के रुप में बह नहीं रहा। यह सीधे जमीन में जाएगा। इसका भू-जल में भरपूर लाभ होगा।

चंडीगढ़ आईएमडी निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल का कहना है कि अब तक तीन पश्चिम विक्षोभ आ चुके हैं और दो आने वाले हैं। इनसे बड़ा लाभ यह हो रहा है कि बरसात रिमझिम हो रही है, यही नहीं पहाड़ों मंे बर्फबारी के कारण गर्मियों के लिए भी पानी स्टोर हो रहा है। -डॉ. सुरेंद्र पाल, निदेशक, आईएमडी, चंडीगढ़।

20.34 मीटर नीचे था भू-जल

हरियाणा में भू-जल तेजी से नीचे जा रहा है। वर्ष 2018-19 में प्रदेश का भू-जल स्तर 0.40 मीटर तक नीचे खिसक गया है। वर्ष 2018 में जून में जहां प्रदेश का औसतन भू-जल स्तर 20.34 मीटर था, जून 2019 में यह 20.71 हो गया है। फतेहाबाद में यह एक मीटर से अधिक नीचे गया है। वहीं करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में भी भू-जल नीचे खिसका है। जून 1974 में प्रदेश का भू-जल स्तर 10.44 मीटर नीचे था, जून 1995 में यह 11.74, जून 2008 में 15.41 और जून-2019 में 20.71 मीटर हो गया। पिछले 24 साल में वर्ष 1995 से 2019 तक प्रदेश का भू-जल स्तर 8.97 मीटर नीचे गया है। पिछले 11 साल में यह 5.14 मीटर नीचे खिसका है।

इन फसलों को मिलेगा लाभ

26 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल, 6.5 लाख हेक्टेयर में सरसों के अलावा अन्य फसलों को बरसात से लाभ होगा। क्योंकि इन दिनों में पाला जमता रहा है, पाला जमने से गेहूं को तो लाभ होता है, लेकिन सरसों, मटर, टमाटर, चना आदि को नुकसान होता है। ऐसे में यदि किसी जगह ओले पड़ते हैं तो इससे सभी फसलों में नुकसान होता है।

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