चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। आम आदमी पार्टी के बागी विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के प्रति हाईकमान के मन में पैदा हुई कड़वाहट निकलने का नाम नहीं ले रही। पार्टी हाईकमान पंजाब में झाड़ू को बिखेरने और विधायकों को बगावत के लिए उकसाने के लिए सुखपाल सिंह खैहरा को बड़ा कसूरवार मानती है।
पार्टी खैहरा को सबक सिखाने की तैयारी में है। विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा की तरफ से दल बदल कानून के अंतर्गत खैहरा खिलाफ दायर की गई याचिका पंजाब विधानसभा के स्पीकर के पास लंबित है, जबकि अक्टूबर 2019 में खैहरा इस्तीफा वापस ले चुके हैं। इस तरह पार्टी ने खैहरा के खिलाफ हाई कोर्ट जाने का फैसला लिया है। पार्टी हाईकमान कानूनी माहिरों से सलाह कर रही है। चीमा का कहना है कि पार्टी जल्द हाई कोर्ट जाएगी।
26 जुलाई 2018 को पार्टी ने सुखपाल खैहरा को विरोधी पक्ष के पद से हटाकर चीमा को विधायक दल का नेता बना दिया था। खैहरा ने पार्टी के इस फैसले से खफा होकर बगावत कर दी थी। उन्होंने छह विधायकों के समर्थन के साथ एक अलग गुट खड़ा करते हुए अलग से गतिविधियां शुरू कर दी थीं। 3 नवंबर 2018 को सुखपाल खैहरा और विधायक कंवर संधू को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया था।
लोकसभा चुनाव से पहले 6 जनवरी, 2019 को खैहरा ने पार्टी की प्राथमिक मेंबरशिप से इस्तीफा देने के बाद पंजाब एकता पार्टी गठित की थी। पंजाब एकता पार्टी लोकसभा चुनाव में पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर लड़ी थी, लेकिन बठिंडा से खहरा को न सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी।
अयोग्य करार देने की मांग
खैहरा की नई पार्टी गठित करने के बाद भुलत्थ निवासी हरसिमरन सिंह नामक ने खैहरा खिलाफ दल बदल कानून के अंतर्गत कार्रवाई करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है। इसी तरह आप विधायक दल के नेता हरपाल सिंह चीमा ने भी खैहरा को अयोग्य करार देने के लिए स्पीकर को अर्जी दी हुई है। दाखा से पूर्व विधायक एचएस फूलका ने भी विधायक पद से इस्तीफ़ा दिया था, लेकिन स्पीकर ने विधानसभा की मर्यादा व नियमों के अनुसार इस्तीफा न देने के कारण इसे मंजूर नहीं किया। कई महीनों बाद फूलका ने अदालत में जाने की बात कही, तो स्पीकर ने उनका इस्तीफा मंज़ूर कर लिया था।
दल बदलने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई
विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा का कहना है कि आपके जिन विधायकों ने विधायक पद से इस्तीफा दिया और दल बदल लिया है, उनके खिलाफ स्पीकर को संविधान के अनुसार फैसला लेना चाहिए।