बटाला/इस्लामाबाद. गुरु नानक देव जी चरणछो प्राप्त धरती करतारपुर स्थित पवित्र गुरुघर जाने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को नए साल पर एक बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान सरकार ने फैसला किया है कि न सीमा पार कोई चीज ले जाई जा सकती है और न ही वहां से सीमा के इस पार कोई चीज लाई जा सकती है। यहां तक कि श्रद्धालु प्रसाद भी नहीं ला सकते। एक ओर इस फैसले को धार्मिक आस्था को ठेस माना जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे सही भी ठहरा रहे हैं। इसी बीच गुरु पर्व को लेकर 3 से 5 जनवरी तक गैर सिख संगत के वहां जाने पर भी रोक रहेगी। ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया है। असल में करतारपुर गुरुद्वारे में माथा टेककर लौटते वक्त श्रद्धालुओं की अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर तलाशी होती है, जिसमें उनके हाथों में लिए प्रसाद तक को खोजी कुत्तों को सुंघाया जाता है। दिसंबर के पहले सप्ताह के अंत में सिख कौम से ताल्लुक रखने वाले लुधियाना के कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा में इस मुद्दे को उठा चुके हैं।
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में 8 दिसंबर को सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने सदन में शून्यकाल के दौरान कहा कि करतारपुर साहिब से वापस लौटने वाले श्रद्धालुओं के प्रसाद को सुरक्षा जांच के तहत खोजी कुत्तों से सुंघवाया जाता है और इस पर रोक लगनी चाहिए। बिट्टू ने कहा कि करतारपुर कोरिडोर खोलकर सरकार ने बहुत अच्छा कदम उठाया, लेकिन दुख होता है कि वहां से लौटने वाले लोग हमारी सरकार की बजाय पाकिस्तान की तारीफ करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ‘नगर कीर्तन’ ले जाए जाने के दौरान सीमा पर पालकी से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को उतारा गया। करतारपुर से वापस आने वालों के प्रसाद को खोजी कुत्ते सूंघते हैं। सुरक्षा जांच जरूरी है, लेकिन प्रसाद को इससे अलग रखा जाना चाहिए।
यह था पाकिस्तान का बिजनेस प्लान
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का आस्था के नाम पर बहुत बड़ा बिजनेस प्लान खेलने का मूड था। एक तरफ जहां कॉरिडोर से गुरुघर जाने वाले हर श्रद्धालु को 20 डॉलर फीस पर अड़ा रहा, वहीं प्रसाद के नाम पर भी अच्छी-खासी योजना थी। आम तौर पर गुरु मर्यादा के अनुसार कभी से ही गुरुद्वारों में हलवे का प्रसाद दिया जाता है, लेकिन करतारपुर गुरुद्वारे में पाकिस्तान ने इसे बदल डाला। तर्क था कि हलवे को ज्यादा देर तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता, इसलिए श्रद्धालुओं को पिन्नी (बेसन के लड्डू) प्रसाद दिया जाएगा। गजब बात यह भी थी कि 100 ग्राम प्रसाद के लिए पाकिस्तान ने हर श्रद्धालु से 151 रुपए लेने तय किए थे। अगर देखा जाए तो समझौते के मुताबिक, हर दिन 5000 श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचेंगे। ऐसे में रोज एंट्री फीस ही 71.40 लाख रुपए यानि एक महीने में 21 करोड़ 42 लाख रुपए बनती है। रही बात प्रसाद की तो रोज का 7 लाख 55 हजार का प्लान यह अलग था।