प्रदेश से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने कई रिश्वतखोर दबोचे और अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने की पहलकदमी की है। इसके अंतर्गत 2019 के दौरान 101,64,82,194 रुपये की जायदाद जब्त की गई। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य डायरेक्टर-कम-एडीजीपी बीके उप्पल ने कहा कि विजिलेंस ब्यूरो ने चार अलग-अलग मामलों में मुलजिमों की अवैध जायदाद जब्त की है।
उन्होंने कहा कि रिश्वत लेने वालों पर नकेल कसने और इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए कड़ा रूख अपनाते हुए लोगों में जागरूकता पैदा करने को ब्यूरो ने एक रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि ब्यूरो की तरफ से लोगों को प्रोजेक्टों की विस्तृत जानकारी देने के लिए एक ‘सोशल ऑडिट स्कीम’ शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत सम्बन्धित विभागों के मुख्य विजिलेंस अधिकारियों द्वारा ‘सिटीजन इन्फॉरमेशन बोर्ड’ स्थापित किए जाएंगे।
प्रोजेक्टों के बारे में जानकारी अंग्रेजी और पंजाबी में लिखी जाएगी, ताकि लोग भ्रष्टाचार को रोकने में अपना योगदान भी दे सकें। उप्पल ने बताया कि विजिलेंस ब्यूरो ने पिछले वर्ष के दौरान अलग-अलग विभागों के 147 अधिकारियों और 18 प्राइवेट व्यक्तियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। हर किस्म के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो सहनशीलता की नीति अपनाते हुए ब्यूरो ने 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2019 तक 13 गजटिड अधिकारियों (जीओज) और 134 नॉन -गजटिड अधिकारियों (एनजीओ) को काबू किया है।
विजिलेंस ब्यूरो के चीफ ने बताया कि वर्ष के दौरान अन्य विभागों के अलावा पंजाब पुलिस के 63 मुलाजिमों, राजस्व विभाग के 28, बिजली के 13, पंचायतों और ग्रामीण विकास के 3, सेहत विभाग के 7, स्थानीय निकाय के 6, खाद्य और सिविल सप्लाई विभाग के 3, आबकारी और कर विभाग के 4 और जल सप्लाई व सेनिटेशन के 5 कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में रिश्वत की मांग करते और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों काबू किया।
उप्पल ने कहा कि अलग-अलग विशेष अदालतों ने भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट के अधीन 29 मामलों में 42 दोषियों को सजा सुनाई है, जिनमें 5 जीओज, 31 एनजीओज और 6 प्राईवेट व्यक्ति शामिल हैं। अपराधियों को छह महीने से सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा निचली अदालत द्वारा 1000 रुपए से 2,30,000 रुपए तक के जुर्माने लगाए गए, जिसमें से 14,96,500 रुपए इकट्ठे किये गए।