पाकिस्तान से नमक के बहाने अमृतसर में मंगवाई गई 532 किलो हेरोइन का मामला नार्को टेररिज्म से जुड़ा हुआ है। इस काले कारोबार से जो आमदनी होनी थी, उसका इस्तेमाल हिंदुस्तान में अशांति फैलाने के लिए किया जाना था। इस हेरोइन की कीमत लगभग 2700 करोड़ रुपये थी। यह आतंकवाद का खेल पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान तक फैला है। इसमें भारत के भी कई लोग शामिल हैं। यह खुलासा नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने अपनी चार्जशीट में किया है।
एजेंसी ने एनआईए की स्पेशल अदालत में 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की। छह आरोपी अभी एनआईए की पकड़ से बाहर हैं। चार कंपनियों को भी केस में नामजद किया गया है। आरोपियों में तारिक अहमद लोन, जसवीर सिंह, निरभैल सिंह, संदीप कौर, अजय गुप्ता, रंजीत सिंह, इकबाल सिंह, फारूख लोन, साहिल, सोहेब नूर और अमीर नूर शामिल हैं।
वहीं कंपनियों में एमएस कनिष्क इंरटरप्राइजेस, एमएस गुप्ता फास्ट फारवर्ड्स प्राइवेट लिमिटेड, एमएस ग्लोबल विजिन इंपेक्स और ऐमेक्स जनरल ट्रेडिंग कंपनी शामिल है। सभी पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
ऐसे पकड़ में आया था यह खेल
मामला इसी साल 29 जून को सामने आया था। पाकिस्तान से आई नमक की खेप में 532 किलो हेरोइन व 52 किलोग्राम नशीले पदार्थ थे। इन्हें अमृतसर के अटारी इंटरनेशनल चेक पोस्ट पर पकड़ा था। इसके बाद अमृतसर के व्यापारी गुरपिंदर सिंह व जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा निवासी तारिक अहम लोन पर केस दर्ज किया गया था। जब यह मामला एनआईए को सौंपा गया था तो जांच में सामने आया है कि यह अंतरराष्ट्रीय नशा तस्कर गिरोह है जो पाकिस्तान से चल रहा था। इसके तार अफगानिस्तान तक फैले हैं।
एनआईए के पास है अहम सुबूत
एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि यह गिरोह काफी खतरनाक था। इसने बार्डर से विभिन्न चीजों में छिपाकर नशीले पदार्थों को मंगवाने की प्रक्रिया शुरू की थी। एनआईए ने पंजाब के विभिन्न हिस्सों में दबिश दी थी जिसमें काफी सामान कब्जे में लिया गया। इसमें बैंक अकाउंट डिटेल, इलेक्ट्रॉनिक एंड डिजिटल डिवाइस, असलहा और हवाला के जरिए हुए पैसे के आदान-प्रदान के सुबूत कब्जे में लिए गए थे।
हवाला के पैसे का हुआ इस्तेमाल
जांच में बात साफ हो चुकी है कि नार्को टेररिज्म के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश थी। इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत विशेष तौर पर पंजाब, जम्मू और दिल्ली के लोगों की भूमिका सामने आई थी। इस सारे खेल को चलाने के लिए हवाला व अन्य चैनलों का प्रयोग किया गया है। पाकिस्तान से नमक के बहाने ही सारी खेप आती थी।