हरियाणा: जजपा में मचा घमासान, दुष्यंत के खिलाफ हुए विधायक, कारण एक नहीं कई |

जननायक जनता पार्टी में ‘दादा’ की भूमिका रखने वाले नारनौंद विधायक रामुकमार गौतम द्वारा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद छोड़ने पर सूबे की सियासत गर्मा गई है। गौतम के इस्तीफे से साफ हो गया है कि दस विधायकों वाली जजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दिनों जजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में दो तीन विधायक नहीं पहुंचे, जिसमें रामकुमार गौतम का नाम अहम था।

टोहाना विधायक देवेंद्र बबली ने भी मंत्री पद न मिलने की नाराजगी को बीच में जाहिर किया था, लेकिन बाद में दुष्यंत ने उन्हें साध लिया। पार्टी में असंतुष्टों की बात करें तो रामकुमार गौतम और गुहला विधायक ईश्वर सिंह को मंत्री पद के लिए आश्वासन दिया गया था। दोनों विधायकों को यहां तक कहा गया था कि शपथ लेने की तैयारी करो, लेकिन मौके पर अनूप धानक के शपथ लेने से यह दोनों विधायक अंदर से नाराज चल रहे हैं।

हालांकि ईश्वर सिंह को चेयरमैन बनाने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने चेयरमैनी लेने से इनकार कर दिया था। जिसके पीछे तर्क यह था कि वे चेयरमैन, बोर्ड के मेंबर और राज्यसभा सांसद जैसे पदों पर पहले ही रह चुके हैं। ऐसे राज्यसभा का पद छोड़ने के बाद चेयरमैनी की बात ईश्वर सिंह के गले नहीं उतरी। रामकुमार गौतम और टोहाना विधायक देवेंद्र बबली का मंत्री का पत्ता कैप्टन अभिमन्यु और सुभाष बराला ने कटवाया है।

यह बात जगजाहिर है कि दोनों नेता अपनी विधानसभा से चुनाव हार गए हैं। जिसके बाद बबली और गौतम को जनता ने चुन कर भेजा। ऐसे में यदि बबली और गौतम को मंत्री पद मिल जाता तो दोनों नेताओं की अपने ही क्षेत्र में धाक कम हो जाती। पिछले दिनों इस बात की भी चर्चा चली थी कि जजपा के पांच से छह विधायक पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के संपर्क में हैं। इन विधायकों की हुड्डा से मुलाकातों की चर्चा भी चली थी।

राज्यसभा की सीट पर भी दुष्यंत की नजर

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की नजर राज्यसभा की एक सीट पर भी है। सब कुछ ठीक रहा तो दुष्यंत इस सीट पर भी अपना एक आदमी एडजस्ट करना चाहेंगे। इसके दो फायदे होंगे एक तो सांसद रहते हुए दिल्ली में मिली सरकारी कोठी बच जाएगी दूसरा पार्टी का राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व होगा।

राज्यसभा चुनाव में बढ़ेंगे विधायकों के भाव

राज्यसभा चुनाव तक दुष्यंत को विधायको के नाज नखरे उठाने पड़ेंगे। इस बीच विधायकों के भाव भी पूरे बढ़े रहेंगे। हरियाणा के खाते से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। अप्रैल में राज्यसभा के लिए वोटिंग होगी ऐसा माना जा रहा है। भाजपा, कांग्रेस और जजपा तीनों सीटों पर जोर आजमाइश करेगी। ऐसे में विधायकों के भाव बढ़ना लाजिमी है।

नाराजगी जताते हुए पद से इस्तीफा दिया

पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराकर विधायक बने रामकुमार गौतम ने जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा देने के साथ ही उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधा कि पार्टी क्षेत्रीय है और उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दे रखा है। साथ ही कहा कि दुष्यंत को जजपा के नौ विधायकों ने उपमुख्यमंत्री बनाया है और वह 11 महकमे अपने पास दबाकर बैठ गए हैं। पार्टी के अन्य विधायकों की अनदेखी के कारण उनमें काफी नाराजगी है।

विधायक गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर अपनी बिरादरी में सभी बड़े नेताओं को हराने की मंशा से काम करते हुए सबसे ऊपर रहने के भी आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ अपनी सीट नहीं जीती बल्कि जजपा की और भी सीटें जितवाने में योगदान दिया। पार्टी छोड़ने के सवाल पर गौतम ने कहा कि जेजेपी पार्टी के वह संस्थापक सदस्य रहे हैं। इसलिए फिलहाल पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि, अब तो कानून बना हुआ है कि जिस दिन विधायक का पद छोड़ूंगा, उसी दिन पार्टी छोड़ी मानी जाएगी।

‘मत पूछो बहुत जख्म कर राखे सै इसनै’

विधायक गौतम ने दुष्यंत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, ‘मत पूछो बहुत जख्म कर राखे सै इसनै।’ गौतम गांव राखी शाहपुर में बन रहे राखी बारह खाप के चबूतरे पर मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने अपनी ही पार्टी के प्रमुख नेता और उपमुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के परिवार की खुले मंच से दूसरी बार प्रशंसा की।

कैप्टन अभिमन्यु के साथ दुष्यंत की सेटिंग के लगाए आरोप

गौतम ने पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु और दुष्यंत चौटाला के बीच सेंटिंग के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वह जजपा में इसलिए शामिल हुए थे कि शायद दुष्यंत चौधरी देवीलाल के रास्ते पर चलेगा। मगर उन्हें नहीं पता था कि इस तरह सेटिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुझे मंत्री नहीं बनाया, इस बात का दुख नहीं है।

दुख तो इस बात का है कि गुरुग्राम के एक मॉल में मिलकर दुष्यंत और कैप्टन आपस में समझौता कर गए। अगर समझौता करना था तो पहले कर लेते, नारनौंद हलके की जनता को क्यों मारा। अगर मंत्री बनता तो बहुत काम करवाता, इस बात के लिए मेरा और नारनौंद की जनता का भाग्य माड़ा था।

दिग्विजय के हुड्डा के खिलाफ चुनाव लड़ने से किया था मना

रामकुमार गौतम ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सोनीपत से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ दिग्विजय चौटाला के मैदान में आने पर भी उन्होंने ऐतराज जताया था। उन्होंने कहा था कि हुड्डा के खिलाफ दिग्विजय को क्यों खड़ा कर रहे हो, तो कहा गया कि अगर दिग्विजय नहीं खड़ा हुआ तो हुड्डा जीत जाएगा। मैंने कहा कि हम तो नहीं जीत रहे और अगर हुड्डा जीत जाता तो हमें क्या तकलीफ है।

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