एक्सक्लूसिव / मैं लता दीदी के साथ बैठी थी और मुझे मैसेज आ रहे थे कि वो दुनिया में नहीं रहीं: उषा मंगेशकर |

बॉलीवुड डेस्क. स्वरकोकिला लता मंगेशकर ठीक होकर अस्पताल से घर वापस आ चुकी हैं। निमोनिया के चलते उन्हें मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था। पूरा देश उनकी सलामती के लिए दुआएं कर रहा था, बॉलीवुड के बड़े बड़े दिग्गज उनसे मिलने पहुंच रहे थे। इस दौरान ऐसा वक्त भी आया जब लता जी के निधन की अफवाहें उड़ी। इस कठिन समय में परिवार ने जैसे तैसे अफवाहों से खुद को बचाया। कठिन समय को पहली बार बयां कर रही हैं उनकी बहन उषा मंगेशकर।

मैं लता दीदी के बीमारी के दौरान के सच को बयां करना चाहती हूं। सच तो यह था कि पहले पांच दिन तो दीदी काफी बीमार थीं, फिर काफी फास्ट रिकवर करके घर आ गईं। लेकिन इस दौरान उन्हें लेकर जो अफवाहों का दौर चला वह काफी खतरनाक क्षण था। मेरे पास भी फॉरवर्ड मैसेज और फोन आ रहे थे कि उनका निधन हो गया है। जबकि मैं लता दीदी के साथ थी और वो बिल्कुल स्वस्थ थीं। काल्पनिक दुनिया का सच देखिए कि लोगों को उनकी बहन की बातों से ज्यादा भरोसा अफवाहों भरे मैसेज में था। मुझे उन्हें समझाना पड़ रहा था कि देखो मैं हंस-हंस के बात कर रही हूं न। मतलब लता दीदी ठीक हैं। मुझ पर भरोसा करो। बिना देखे सोचे समझे अफवाहों पर भरोसा करना कितना आसान हो गया है। यह बहुत खतरनाक है।

उन्हें क्या हुआ था?

लता दीदी को असल में निमोनिया की शिकायत थी। डॉक्टर प्रतीक, डॉ. राजीव शर्मा और डॉक्टर जनार्दन दिन रात उनके साथ रहे। उनकी बीमारी को समझा और अच्छा इलाज किया और उनकी ही मेहनत का फल है कि दीदी ठीक हुईं। अब सबसे बात करती हैं। खाना खाती हैं। एकदम पहले जैसी हो गई हैं। जल्द उन्हें लोग सुन सकते हैं।

अब कैसी हैं दीदी?

वो घर आ गई हैं तो आठ दस दिन में गाने का काम शुरू करेंगी। बीमार होने के बाद आज भी आवाज में जरा भी फर्क नहीं है। जबकि कोई रिवाज नहीं की वो। जब दीदी की तबीयत खराब थी तो हम सब काम छोड़कर उनके साथ बैठे रहते। उन्हें दीदी कम, मां ज्यादा मानते हैं। देखभाल में पूरा महीना लगे रहे।

क्या अभी भी मीठे हैं सुर?

लता दीदी बीमार पड़ने से पहले एक गाना गा रही थीं। उसकी दो लाइनें ही बची थीं और इसी दौरान उनकी तबीयत खराब हो गईं। अब वे पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं ओर जल्द ही सभी को उनका गाना फिर सुनने को मिलेगा। सबसे सुखद बात तो यह है कि इतना लंबा समय अस्पताल में बिताने के बाद भी उनकी आवाज में जरा सा भी फर्क नहीं आया है। हॉस्पिटल से जब घर आई तो भी उनकी आवाज वही है, जो 20 साल पहले थी।

तीनों बहनों में क्या कॉमन है?

हम तीनों बहनें जब साथ होतीं तो कभी संगीत पर बात नहीं करते, जोक्स सुनाते हैं, हंसी मजाक करते हैं, खाना बनाते हैं। लता दीदी का रास्ता ऐसा है (बाईं ओर हाथ करते हुए)। आशा दीदी का रास्ता वैसा है(दाईं ओर हाथ करते हुए)। और मेरा रास्ता उस तरह का है (दोनों हाथ जोड़ते हुए)। अलग-अलग स्टाइल से हम सब गाते हैं। कोई एक दूसरे को कॉपी नहीं करती। आशा दी को कॉपी करना बड़ा मुश्किल है। लता दीदी को कॉपी करना तो किसी के लिए भी संभव नहीं है। उनकी आवाज तो भगवान की देन हैं।

जहर दिया था या कुछ और?

एक बार बहुत पहले भी लता दीदी को खाने में जहर जैसी चीज मिलने वाली बात सामने आई थी। पर इसको लेकर अब तक कुछ भी पता नहीं चला है। हो सकता है फूड पॉयजनिंग हो। हो सकता है गैस्ट्रो हो, लेकिन लता दीदी को इस सबसे काफी तकलीफ तो हुई थी।
(मुकेश महतो ने उदयपुर में चर्चा की।)

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