टोक्यो ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदकों की उम्मीद पहलवानों से लगाई जा रही है। इसके लिए कुश्ती के इतिहास में पहली बार 101 दिन का नेशनल कैंप लगाया जा रहा है। पहले कभी इतना लंबा कैंप नहीं लगाया गया। एशियन चैंपियनशिप और ओलंपिक के एशियन क्वालिफायर के लिए भी पहलवान कैंप के बीच में से ही जाएंगे, जबकि वर्ल्ड क्वालिफायर के लिए कैंप के बाद टीम जाएगी। ओलंपिक में ज्यादा पहलवानों को पहुंचाने के साथ ही वहां मेडल पक्के कराने के लिए हर दांव सिखाया जाएगा।
इसलिए जहां ग्राउंड रेसलिंग मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं अपनी कमजोरी दूर करने के साथ ही विदेशी पहलवानों की कमियां देखकर भी पहलवान दांव सीख रहे हैं। इसलिए इस नेशनल कैंप से भारतीय कुश्ती संघ के साथ ही कोच और खुद पहलवानों को बड़ी उम्मीद है। टोक्यो में 2020 में ओलंपिक होना है, जिसमें पहुंचने के लिए पहलवान पूरा जोर लगा रहे है तो इस बार ज्यादा से ज्यादा मेडल ओलंपिक में लेकर आने के लिए पहलवानों के साथ ही कुश्ती संघ से लेकर कोच तक प्रयास कर रहे हैं।
इसके लिए ही पहली बार कुश्ती का सबसे लंबा 101 दिन का नेशनल कैंप लगाया जा रहा है। यह कैंप 20 दिसंबर से शुरू हुआ है जो 31 मार्च तक लगातार चलेगा। लखनऊ में महिला पहलवानों का कैंप चल रहा है। उसमें 42 पहलवानों को जगह मिली है। वहीं सोनीपत के साई सेंटर में पुरुष पहलवानों का कैंप शुरू हुआ है और इसमें 80 पहलवानों को जगह मिली है। इस कैंप के बीच ही फरवरी में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप होगी और कैंप से सीधे पहलवान वहां खेलने जाएंगे। वहां से वापस पहलवानों को कैंप में शामिल होना पड़ेगा।
इस तरह मार्च में होने वाली एशियन क्वालिफायर चैंपियनशिप में पहलवान सीधे कैंप से जाएंगे और वापस कैंप में आएंगे। नेशनल कैंप के बाद अप्रैल में वर्ल्ड क्वालिफायर चैंपियनशिप होगी, जिसके लिए कुछ आराम पहलवानों को मिल सकता है, लेकिन यह माना जा रहा है कि पहलवान इन सभी चैंपियनशिप के सहारे ओलंपिक का टिकट लेने के लिए आराम करने की जगह लगातार प्रैक्टिस करते रहेंगे। इस तरह यह सबसे लंबा नेशनल कैंप पहलवानों के लिए काफी अहम माना जा रहा है।