लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हुए उग्र प्रदर्शनों के बाद पुलिस की लगातार कार्रवाई जारी है। अब तक 164 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। 889 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि 5312 लोगों को हिरासत में लेकर निरोधात्मक कार्रवाई की गई। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा- सूबे में अब शांति है। लेकिन संवेदनशील इलाके में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी जारी है। हिंसा प्रभावित जिलों में इंटरनेट पर रोक लगा दी गई, लेकिन सोशल मीडिया पर खूब जहर घोला गया। प्रदेश में कुल 15,344 सोशल मीडिया पोस्टों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है।
घटनास्थलों से 35 तमंचे बरामद
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते 10 दिसंबर से अब तक उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में प्रदर्शन, आगजनी, तोड़फोड़ व फायरिंग की घटनाएं सामने आईं। राजधानी लखनऊ भी इससे अछूता नहीं रहा। डीजीपी मुख्यालय के अनुसार, हिंसा के दौरान 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिसमें 61 पुलिसकर्मी फायर आर्म्स से घायल हुए हैं। घटनास्थलों से 647 नॉन प्रतिबंधित बोर (315 बोर, 12 बोर) के खोखा कारतूस, 69 कारतूस और 35 तमंचे बरामद हुए हैं।
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने पर 108 गिरफ्तार
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर किए गए आपत्तिजनक पोस्टों पर प्रदेश में अब तक 76 एफआईआर दर्ज कर 108 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। कुल 15,344 सोशल मीडिया पोस्टों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है, जिसमें 6612 टि्वटर पोस्ट, 8577 फेसबुक व 155 यू-ट्यूब व अन्य प्रोफाइल पोस्टों को रिपोर्ट कर विधिक कार्रवाई की गई है।
सीएम पुलिस कप्तानों से नाराज, नए डीजीपी पर भी चर्चा तेज
नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ कई जिलों के पुलिस कप्तानों से नाराज हैं। हालात पूरी तरह से नियंत्रण में आने के बाद इन जिलों के कप्तानों को हटाया जा सकता है। सीएम लखनऊ में तैनात पुलिस अफसरों से भी नाराज हैं। इंटेलिजेंस ने बवाल से जुड़ी सभी सूचनाएं पहले से उपलब्ध करा दी थी। लेकिन लखनऊ की हिंसा के बाद प्रदेश के बाकी 12 अतिसंवेदनशील जिलों में भी हिंसा फैल गई। नए साल पर डीजीपी की कुर्सी के लिए भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 को रिटायर हो रहे हैं।