धार्मिक मर्यादा के साथ अवतार सिंह मक्कड़ का अंतिम संस्कार, 11 साल तक एसजीपीसी प्रधान रहे |

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 11 साल तक लगातार प्रधान रहे जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ का धार्मिक मर्यादा के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया गया। अवतार सिंह मक्कड़ का गुरुग्राम स्थित अस्पताल में निधन हो गया था। अंतिम दर्शन के लिए उनकी मृतक देह को माडल टाउन स्थित उनके घर लाया गया।

पूर्व उपमुख्यमंत्री व अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लौंगोवाल, अकाली दल अमृतसर के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान, दमदमी टकसाल मुखी हरनाम सिंह खालसा, अकाली दल के महासचिव व पूर्व मंत्री ब्रिकम सिंह मजीठिया, अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा, हलका दाखा विधायक मनप्रीत सिंह अयाली, कांग्रेसी विधायक राकेश पांडे, भाजपा के सीनियर नेता अरुणेश मिश्रा, प्रदेश महासचिव प्रवीण बांसल समेत विभिन्न धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

सुखबीर बादल ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सियासी बयान देने से इंकार करते हुए कहा कि जत्थेदार मक्कड़ एक महान शख्सियत थे। उन्होंने लंबे समय तक गुरु घर की सेवा की है। एसजीपीसी की ओर से उन्हें बड़ा सम्मान दिया जाना चाहिए। दमदमी टकसाल के मुखी हरनाम सिंह खालसा ने कहा कि जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ ने एसजीपीसी अध्यक्ष रहते हुए सिख कौम व पंथ के लिए अहम भूमिका निभाई है। इसके चलते उन्हें विशेष सम्मान दिया जाना चाहिए।

जिला अकाली दल के पूर्व प्रधान हरभजन सिंह डंग, भाजपा के सीनियर नेता अरुणेश मिश्रा, प्रदेश महासचिव प्रवीण बांसल, जिला अध्यक्ष जतिंदर मित्तल, कमल चेतली, लक्की चोपड़ा, अकाली दल यूथ विंग के अध्यक्ष गुरदीप सिंह गोशा, लुधियाना उत्तरी से कांग्रेस विधायक राकेश पांडे ने श्रद्धांजलि देते हुए परिवार से दुख साझा किया।

80 के दशक में सिख सियासत में उभरे थे मक्कड़

मूलरूप से पाकिस्तान के सरगोधा से संबंध रखने वाले जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ 1963 में लुधियाना आ गए। यहां अकाली दल नेता जगदेव सिंह तलवंडी के नेतृत्व में उनका परिवार सियासत में उतरा तो 80 व 90 के दशक में आतंकवाद के दौर में सिख सियासत के बड़े चेहरे बनकर उभरे। इस दौरान वह कई बार जेल भी गए। जेल में उनकी मुलाकात प्रकाश सिंह बादल से हुई।

इसके बाद से वह अंत तक शिरोमणि अकाली दल बादल से जुड़े रहे। मक्कड़ शहरी सिख सियासत में बड़ा चेहरा बनकर उभरे। बादल ने उनके शहरी सिखों में आधार को देखते हुए उन्हें 1997 में लुधियाना वेस्ट से चुनावों में भी उतारा। त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण उन्हें कांग्रेसी उम्मीदवार हरनाम दास जौहर के मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।

2005 में एसजीपीसी के चुनाव जीतकर जत्थेदार मक्कड़ एसजीपीसी के 39वें अध्यक्ष चुने गए और 2016 तक एसजीपीसी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं देते रहे। अपने अध्यक्ष पद के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सिख पंथ का काफी प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों और गुरुद्वारों का निर्माण करवाया।

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