नई दिल्ली। जूनियर बेसिक टीचर (जेबीटी) भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को दोबारा फैसला सुनाने के निर्देश दिए हैं। ओमप्रकाश चौटाला के वकील अमित साहनी ने बताया कि हाईकोर्ट ने जो फैसला सुरक्षित रखा था, वह सुना दिया है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के अप्रैल 2019 के फैसले को निरस्त कर दिया है और इस मामले पर दोबारा फैसला देने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले अप्रैल 2019 को दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में तर्क दिया था कि भ्रष्टाचार व साजिश रचने में उन्हें कुल 10 साल की सजा हुई है। भारत सरकार के सजा माफ करने वाला नियम उन पर लागू नहीं होता। ऐसे में चौटाला की सजा कम नहीं की जा सकती। दिल्ली हाईकोर्ट ने दो तर्कों पर इस आदेश को खारिज किया है। एक तो चौटाला भ्रष्टाचार के आरोपी में 7 साल की सजा काट चुके हैं।
साहनी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दूसरा तर्क रखा कि चौटाला कि रिहाई 2 अक्टूबर 2019 तक होनी थी। सरकार का तर्क था कि 2 अक्टूबर 2019 जा चुका है। ऐसे में उनकी याचिका खारिज कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को नहीं माना। उन्होंने कहा है कि जब एक व्यक्ति की याचिका पैडिंग पड़ी है तो उनकी याचिका खारिज नहीं मानी जाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को तर्क संगत आदेश देने के निर्देश दिए हैं।
ये है भारत सरकार का नया नियम
2018 में केंद्र सरकार ने एक नया नियम बनाया था कि 60 साल या उससे अधिक के ऐसे पुरुष कैदियों जिन्होंने अपनी आधी सजा पूरी कर ली है, उन्हें विशेष माफी योजना के तहत रिहा किया जाएगा। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी का आधार लेकर याचिका दायर की थी कि उनकी सजा 5 साल से ज्याद पूरी होगी है और उनकी उम्र भी 87 साल है। ऐसे में उनकी सजा माफ की जाए। इस केस में सुनवाई पूरी होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
ये था जेबीटी प्रकरण
- नवंबर 1999 में 3206 शिक्षक पदों का विज्ञापन जारी हुआ।
- अप्रैल 2000 में रजनी शेखर सिब्बल को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया।
- जुलाई 2000 में रजनी शेखर को पद से हटाकर संजीव कुमार को निदेशक बनाया गया।
- दिसंबर 2000 में भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई और 18 जिलों में जेबीटी शिक्षक नियुक्त हुए।
- जून 2003 में संजीव कुमार इस मामले में धांधली होने का हवाला देकर मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
- नवंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए।
- मई 2004 में सीबीआई ने जांच शुरू की।
- फरवरी 2005 में संजीव कुमार से पूछताछ. हुई।
- जून 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल।
- जुलाई 2011 में सभी आरोपियो के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए गए।
- दिसंबर 2012 में केस की सुनवाई पूरी हुई।
- 16 जनवरी 2013 को ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला समेत 55 दोषी करार दिए गए।
- 22 जनवरी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।