पूरी कारगुजारी लोकायुक्त की जांच में ही उजागर हुई थी। मामले में समालखा नगरपालिका के पांच अधिकारियों को चार्टशीट किया जा चुका है। इस केस में लोकायुक्त ने चार आईएएस व पूर्व आईएएस अधिकारियों से भी जवाब तलब किया है। लोकायुक्त केस की अगली सुनवाई 8 जनवरी को करेंगे।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने 19 अगस्त 2014 को लोकायुक्त को आरटीआई से मिले सबूतों व शपथ पत्र सहित शिकायत की थी। शिकायत में आरोप लगाया था कि अवैध कालोनी में स्थित तत्कालीन विधायक (वर्तमान में विधायक) की निर्माणाधीन कोठी को फर्जी नाम से स्वीकृत किया जा रहा है। जबकि, मौके पर निर्माणाधीन कोठी के अलावा कोई मकान नहीं है।
लोकायुक्त के आदेश पर तत्कालीन एसडीएम समालखा ने 8 जुलाई 2015 को अपनी रिपोर्ट दी थी। दोबारा पहली फरवरी 2019 को भी रिपोर्ट सरकार को भिजवाई गई।
दोनों बार जांच रिपोर्ट में आरोप सिद्ध पाए गए। बीते चार दिसंबर को शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव ने लोकायुक्त को सूचित किया है कि 28 सितंबर 2018 को अवैध कालोनी को स्वीकृत करने की फाइल निदेशालय के पास आई थी, उसी दिन कालोनी स्वीकृत करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
इसके बाद से फाइल नहीं मिल रही है। निदेशालय के चीफ टाऊन प्लानर को फाइल तत्काल ढूंढ कर सूचित करने के निर्देश दिए हैं। पंद्रह दिन की मोहलत फाइल को ढूंढने के लिए दी जाए, अन्यथा इस लापरवाही की जिम्मेदारी तय की जाएगी।