जींदः लड़का होने की खबर और थमा दी लड़की, अब डीएनए बताएगा- बेटा किसका बेटी किसकी|

नागरिक अस्पताल में डिलिवरी के बाद लड़के की जगह लड़की सौंपने को लेकर हंगामा हो गया। परिजनों ने नागरिक अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया। हंगामे के बाद एमएस, डिप्टी एमएस अस्पताल पहुंचे और मामले की जांच की। चिकित्सकों के अनुसार अस्पताल प्रशासन के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने लड़की की जगह लड़का बता दिया, जिसको लेकर मामला उलझा। परिजन डीएनए टेस्ट करवाने पर अड़े हुए हैं। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि परिजनों की संतुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट करवा दिया जाएगा।

रामराय गेट निवासी 26 वर्षीय विकास ने बुधवार सुबह अपनी पत्नी ममता को प्रसव पीड़ा होने पर नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया। दोपहर 12 बजे के आसपास चिकित्सकों ने कहा कि नार्मल डिलिवरी नहीं हो रही है, सिजेरियन करना पड़ेगा। इसके बाद ममता को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। 12 बजकर 55 मिनट पर परिजनों के पास एक आउटसोर्स कर्मचारी आई और कहा कि लड़का हुआ है। बच्चे के लिए कपड़े दे दो। इसके बाद विकास ने अपने अन्य परिजनों व रिश्तेदारों को फोन करके लड़का होने की खबर दी।

ऑपरेशन थिएटर से एक कागजात मिला, जिस पर लड़का लिखा हुआ था, लेकिन जब परिजनों को बच्चा मिला तो वह लड़की थी। इससे परिजन गुस्सा हो गए और उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए अपने अन्य परिजनों को भी अस्पताल बुला लिया। परिजनों ने काफी देर तक अस्पताल परिसर में नारेबाजी करते हुए बच्चा बदलने के आरोप लगाए। सूचना पाकर एमएस डॉ. गोपाल गोयल, डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला व पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। परिजनों ने डीएनए टेस्ट करवाने की बात कही। इस पर अस्पताल प्रशासन ने कहा कि परिजनों की संतुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट करवा दिया जाएगा।

सबसे पहले हुई थी ममता की डिलिवरी

सिजेरियन करने वाली चिकित्सक डॉ. नेहा ने कहा कि 12.55 पर ममता की सिजेरियन से डिलिवरी हुई, जिसे लड़की पैदा हुई। जिस समय बच्चा पैदा होता है तो चिकित्सक यह नहीं कहता कि लड़का हुआ है या लड़की। वह केवल इतना कहते हैं की बेबी हो गया है और स्वस्थ है। इसके बाद उसके कागजातों पर लिख दिया जाता है तथा जच्चा व बच्चा को वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। दूसरी डिलिवरी 1.21 पर हुई। दूसरी डिलिवरी से पहले ममता व उसके बच्चे को वार्ड में भेज दिया गया था।

बच्चे के पिता विकास व दादी नीलम ने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने उसके बच्चे को बदल दिया है। पहले एक कर्मचारी ने कहा कि उसे लड़का हुआ है। उसके बाद उसके पास जो कागजात आए उनमें भी लड़का लिखा हुआ था। बाद में कटिंग करके लड़की लिख दिया गया। यह अस्पताल प्रशासन की सोची समझी साजिश है। हम डीएनए टेस्ट करवाएंगे तथा जिस भी कर्मचारी की गलती है है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

परिजनों की संतुष्टि करवाई जाएगी

एमएस डॉ. गोपाल गोयल व डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला ने कहा कि यह सब किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की गलती से हुआ है। डिलिवरी करवाने वाली चिकित्सक डॉ. नेहा से उन्होंने बातचीत की है। आज तीन डिलिवरी सिजेरियन से हुई थी। पहली डिलिवरी ममता की हुई थी। दूसरी डिलिवरी में आधे घंटे का अंतर था। किसी भी सूरत में बच्चा नहीं बदला जा सकता। दूसरी डिलिवरी से पहले बच्चा परिजनों को सौंप दिया था। फिर भी परिजनों को कोई शंका है तो उनकी संतुष्टि करवाई जाएगी। उनकी मांग के अनुसार डीएनए टेस्ट भी करवाया जाएगा।

मां के पास है फिलहाल बच्चा

फिलहाल नवजात अपनी मां ममता के पास है। ममता का कहना है कि वह इसे ही अपनी बच्ची मान रही है और उसे अपना दूध पिला रही है। जब तक उसके परिजनों की संतुष्टि नहीं हो जाती, तब तक यह बच्ची उसके पास ही रहेगी।

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