चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र — हरियाणा सरकार ने पौराणिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण शहर कुरुक्षेत्र को एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। राज्यपाल बंदारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आयोजित 82वीं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) बैठक में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राज्यपाल ने कहा, “कुरुक्षेत्र को एक अवश्य देखने योग्य स्थल बनाया जाना चाहिए।” इसके लिए उन्होंने 48 कोस (लगभग 240 किमी) की परिधि में आने वाले गांवों में हर साल 48 धार्मिक-सांस्कृतिक त्योहार आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। यह क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे शहर के प्रमुख चौराहों और प्रवेश द्वारों को महाभारत की थीम पर आधारित डिजाइनों से सजाएं। उन्होंने विशेष रूप से ज्योतिसर से शुरू होने वाली सड़क को भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और सुदर्शन चक्र की प्रतिकृति से सजाने का प्रस्ताव भी दिया।
कई विकास कार्यों पर बनी सहमति
बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार, ब्रह्मसरोवर के प्रवेश द्वारों का नामकरण किया जाएगा और शहर भर में भित्ति चित्र (म्यूरल आर्ट) बनाए जाएंगे। इसके अलावा, रेलवे पुलों सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर संस्कृत श्लोक भी खुदवाए जाएंगे।
पर्यटकों की सुविधा के लिए नई पहलें
पर्यटकों की सुविधा और यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए 48 कोस परिक्रमा मार्ग पर मुख्य तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाली इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू की जाएगी। यात्रियों को एक दैनिक बस पास मिलेगा, जो क्षेत्र के प्रमुख स्थलों में प्रवेश पास के रूप में भी कार्य करेगा।
इसके साथ ही, कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन, ज्योतिसर रेलवे स्टेशन, पिपली बस स्टैंड और KDB मुख्यालय सहित प्रमुख स्थानों पर 15 अक्टूबर तक सूचना केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां पर्यटकों को मार्गदर्शन और विवरण उपलब्ध कराया जाएगा।
सफाई, परिवहन और बुनियादी ढांचे पर भी होगा काम
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, कुरुक्षेत्र में सफाई व्यवस्था को मजबूत करने, सरोवरों के जीर्णोद्धार और शहर के आधारभूत ढांचे में सुधार जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इन सभी पहलों का उद्देश्य कुरुक्षेत्र को न केवल धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाना है, बल्कि इसे एक साल भर जीवंत सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित करना भी है। सरकार और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का यह समन्वित प्रयास राज्य के सांस्कृतिक परिदृश्य को एक नई पहचान देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।