एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है।
एचआईवी/एड्स का इतिहास –
एचआईवी की शुरुआत जानवरों से हुई। 19वी सदी में अफ्रीका में सबसे पहले बंदरो में एड्स का वायरस पाया गया। अफ्रीका में बन्दर खाये जाते है जिससे ये वायरस इंसानो में फैल गया। 1920 में अफ्रीका के कांगो में एचआईवी संक्रमण का प्रसार हुआ। 1959 में एक आदमी के खून के नमूनों में सबसे पहला एचआईवी वायरस पाया गया। इसलिए दुनिया के कई देशों तक यौन संबंधों के माध्यम से एचआईवी का प्रसार हुआ। इस बीमारी को ‘गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी’ (ग्रिड) नाम दिया गया। लेकिन बाद में दूसरे लोगों में भी यह वायरस पाया गया, तब जाकर 1982 में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस बीमारी को एड्स नाम दिया। पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में विश्व एड्स दिवस मनाया। हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य हर उम्र और वर्ग के लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है।