आय नहींं, खर्च ज्यादा, वेतन कहां से देंं, हाई कोर्ट पहुंचे हरियाणा के निजी स्कूल

निजी स्कूलों (Private schools) को अपने स्टाफ को पूरा वेतन देने व केवल ऑनलाइन क्लास (Online class) की सुविधा देने वाले स्कूलों को ही बच्चों से फीस लेने के आदेश को वापस लेने के लिए लिए हरियाणा के निजी स्कूलों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने मामले में सभी प्रतिवादी पक्षों को 12 नवंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है

निजी स्कूलों की तरफ से दायर अर्जी में  कोर्ट को बताया गया कि सरकार चाहे तो स्कूलों की आय की जांच कर सकती है। लाकडाउन के बाद स्कूलों की आय लगभग बंद हो गई है, जबकि सरकारी टैक्स व बिजली जैसे अन्य खर्च ज्यों के त्यों हैंं। ऐसे में हाई कोर्ट ने स्टाफ को पूरा वेतन देने व बच्चों के बारे में जो आदेश दिया है वह वापस लिया जाए।

हाई कोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी व राजेश भारद्वाज पर आधारित बेंच ने स्कूलों की इस अर्जी पर सभी प्रतिवादी पक्ष को 12 नवंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की अर्जी खारिज कर दी। बता देें, इस विषय पर पंजाब के स्कूलों ने भी हाई कोर्ट में अर्जी देकर इस आदेश को वापस लेने की मांग की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

ज्ञात रहे कि 1 अक्टूबर को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने निजी स्कूलों द्वारा बच्चों से मासिक, वार्षिक शुल्क और ट्रांसपोर्ट फीस के मामले पर बड़ा फैसला दिया था। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया था कि जिन स्कूलों ने लाकडाउन के दौरान आनलाइन क्लास की सुविधा दी है सिर्फ वही स्कूल छात्रों से ट्यू्शन फीस वसूल सकते हैं। इसके साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को पिछले सात महीनों की बैलेंस शीट भी चार्टेड अकाउंटेंट से वेरिफाई करवा दो सप्ताह में सौंपे जाने के आदेश दे दिए थे।

हाई कोर्ट ने स्कूलों को यह भी आदेश दिया था कि स्कूल के सभी तरह के स्टाफ को वही वेतन जारी किया जाना चाहिए जो लाकडाउन से पहले जारी होता था। जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू पर आधारित खंडपीठ ने यह आदेश सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ सरकार सहित अभिभावकों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए थे। हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के 30 जून के फैसले में संशोधन करते हुए यह आदेश जारी किए थे। इन आदेशों का निजी स्कूल विरोध कर रहे हैं।

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