कैथल मंडियों में धान की आवक बढ़ती जा रही है। वहीं इस बार नए एक्ट के प्रावधान के चलते किसान राइस मिलों में भी अपनी धान लेकर पहुंचने लगे हैं। जहां उन्हें मंडी के मुकाबले ऊंची कीमत मिल रही है। हालांकि ऐसा करने वाले किसानों की संख्या अभी काफी कम है।
विदित रहे कि पूर्व में किसान केवल मंडी में ही अपनी फसल बेच सकता था। लेकिन नए कानून के तहत अब किसान अपनी फसल मंडी से बाहर भी बेच सकता है। इसी कारण कई किसान अब राइस मिलों में सीधे धान लेकर पहुंचने लगे हैं। लेखराज नरेंद्र कुमार कुमार निर्यातक फर्म की राइस मिल में जाखौली सहित कुछ गांवों के किसान धान लेकर पहुंचे। जहां उन्हें तुरंत तोल के बाद भुगतान भी किया गया। किसानों ने बताया कि यहां समय की भी बचत हुई है और कीमत में भी कुछ ना कुछ मंडी के मुकाबले फर्क है।
निर्यातक नरेंद्र मिगलानी ने बताया कि खरीददार को मंडी में पहले 4 प्रतिशत मार्केट फीस देनी पड़ती थी। जिसे कम करके 1 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ-साथ किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है। इसीलिए वे जो 3 प्रतिशत की मार्केट फीस मंडी में देते थे, उसमें मिली छूट को सीधा राइस मिल में धान लेकर पहुंचने वाले किसान को सहीं कीमत देकर लाभ दे रहे हैं। जिससे किसान का फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को आढ़तियों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। आढ़तियों का जो लेना-देना है। उसका भुगतान करें। आढ़ती के कहने पर या फिर वे सीधा भी राइस मिल में धान ला सकते हैं।
दूसरी ओर नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान कृष्ण मित्तल ने कहा कि किसानों व आढ़तियों का पीढ़ियां का संबंध है। आढ़ती किसान के सुख-दुख में काम आता है। इसलिए ऐसे किसान ज्यादा नहीं हैं, जो बिना आढ़ती के सीधा राइस मिलों में धान लेकर जाएंगे। अधिकतर किसान मंडी में ही धान लेकर का रहे हैं। इस समय 1509 की आवक हो रही है। जो करीब 1950 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। मार्केट कमेटी सचिव दीपक कुमार ने कहा कि अभी सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है। प्राइवेट खरीददारों द्वारा खरीद की जा रही है।