7 साल पहले नरेंद्र मोदी ने ‘दिल्ली’ के लिए हरियाणा से भरी थी हुंकार, रैली के दौरान हो गए थे भावुक

5 सितंबर, 2013 अब इतिहास की प्रमुख घटनाओं में दर्ज है। सात वर्ष पूर्व आज ही के दिन गुजरात के सीएम ने पीएम बनने के लिए रेवाड़ी की वीरभूमि से रैलियों का सफर शुरू किया था। दिल्ली में पीएम के ताज तक पहुंचने के लिए उन्होंने हरियाणा की इसी पावन धरा से कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुंकार भरी थी। जनभावनाओं को भांपकर भाजपा संसदीय बोर्ड ने 13 सितंबर 2013 को मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। इसके ठीक दो दिन बाद उन्होंने इस धरा से राष्ट्र के नाम संदेश दिया था। मोदी तब पीएम नहीं थे, मगर अपने संदेश में उन्होंने देश की दशा और दिशा बदलने का रोडमैप सामने रख दिया था।

उन्होंने एक ओर जहां भारत-पाक संबंध, आतंकवाद व अमेरीकी नीति पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया, वहीं मनमोहन की रक्षा व विदेश नीति पर तीखे कटाक्ष करते हुए अपनी नीति स्पष्ट की। वन रैंक वन पेंशन जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की मजबूत घेराबंदी ने उन्हें सैनिकों व पूर्व सैनिकों का चहेता बना दिया। मोदी ने खेती-किसानी को संवारने और गरीबी, भुखमरी व अशिक्षा से मुक्ति दिलाने की अपनी प्राथमिकताएं साझा की। मोदी के इस संदेश ने ने उन्हें प्रगतिवादी व व्यापक सोच रखने वाला राष्ट्रीय नेता बना दिया। इसी रैली की बदौलत मोदी का रेवाड़ी से भावनात्मक रिश्ता जुड़ गया।

… तब भावुक हो गए थे मोदी

रैली में नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे। उनकी आंखें नम हो गई थी। उन्होंने कहा था कि, ‘ मैं मामूली घर में पैदा हुआ। कभी सोचा नहीं था कि पीएम उम्मीदवार बनूंगा। रेवाड़ी रैली की तारीख तय करते समय यह आभास नहीं था कि रैली से पहले पार्टी इतना बड़ा दायित्व देकर भरोसा जताएगी।’

 

मई में लिया था पूर्व सैनिकों से संवाद का निर्णय

ओम प्रकाश धनखड़ ने पहले झज्जर में रैली करने की संभावना तलाशी, मगर बाद में अरविंद यादव के सुझाव पर रेवाड़ी की वीरभूमि के नाम पर सहमति बन गई। धनखड़ की अगुवाई में जैसे ही अरविंद यादव व अन्य लोगों ने रेवाड़ी रैली के लिए पूर्व सैनिकों से संपर्क करना शुरू किया, वैसे ही प्रो. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर सिंह व डा. सुधा यादव सहित उस समय के तमाम भाजपाई एकजुट होकर रैली की तैयारियों में जुट गए। पूरी भाजपा ने एक होकर ताकत झोंकी, मगर असलियत में भीड़ लाने के लिए मोदी का नाम ही काफी था। मोदी चाहते थे कि जनरल स्तर के कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी भी रैली में रहें। जनरल वीके सिंह पहले से ही उनकी पसंद थे। धनखड़ ने इस काम पूरा किया। सूत्रों के अनुसार वह रैली से पूर्व जनरल वीके सिंह को अहमदाबाद लेकर गए, जहां मोदी से उनकी मुलाकात हुई। राव तुलाराम जैसे जंग-ए-आजादी के महानायक व रेजांगला के वीरों की भूमि रेवाड़ी में उमड़ी भीड़ ने मोदी की आगे की राह आसान कर दी। देश-विदेश से जुटे मीडिया ने उसी दिन मान लिया था यह भावी पीएम का संदेश है।

oldAuthor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *