गुरुग्राम के स्कूल में सात साल के छात्र की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी छात्र भोलू (अदालत का दिया नाम) को जमानत देने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देगा. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. आरोपी नाबालिग है लेकिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कहा था कि उसके खिलाफ बालिग के तहत ट्रायल च
गुरुग्राम के एक स्कूल में साल 2017 में एक बच्चे की हत्या के मामले में सीबीआई ने फरवरी 2018 में आरोप पत्र दाखिल किया था. इस मामले में पहले पकड़े गए कंडक्टर को आरोपमुक्त कर दिया गया. मुख्य आरोपी एक छात्र है. मगर कोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले में किसी की पहचान उजागर नहीं की जाएगी. जब सीबीआई ने चार्जशीट दायर की तो अदालत ने आदेश दिया कि सबकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी. अब उस स्कूल को विद्यालय कहा जाएगा, आरोपी छात्र का जिक्र ‘भोलू’ के तौर पर होगा और जिस बच्चे को मारा गया, उसे ‘प्रिंस’ कहा जाएगा.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कई अहम सबूत पेश करने का दावा किया. जिस वाशरूम में प्रिंस की हत्या हुई, वहां से मिले अंगुलियों के निशान आरोपी भोलू के निशान से मिलते हैं. हत्या जिस हथियार से हुई, उस चाकू की पहचान हो गई. आरोपी भोलू के मोबाइल और ईमेल से भी एजेंसी को सबूत मिले. सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की गई.
सीबीआई ने मौक़ा ए वारदात के हालात और कुछ गवाहियों को भी आधार बनाया है. वारदात के पहले और बाद में आरोपी के व्यवहार को भी चार्जशीट में शामिल किया गया. मकसद वही बताया जा रहा है, इम्तिहान रुकवाना और पीटीएम टलवाना.
भोलू नाबालिग है, मगर उस पर बालिग की तरह केस चलेगा, यह पहले ही तय हो चुका है. खास बात यह है कि 2000 पन्नों की अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने कंडक्टर को आरोपमुक्त करने को कहा.