ब्रेकिंग न्यूज़: कांग्रेस ने आज फेसबुक व व्हाट्सअप के बीजेपी के बीच साठगांठ का प्रेस कांफ्रेस में किया खुलासा-देखें वीडियो

रोहन गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से अभी अधीर रंजन और प्रवीन ने बात की, यहाँ पर मुद्दा सिर्फ एक सोशल मीडिया से संबंधित नहीं है, बहुत बड़ा मुद्दा है। देश के लोकतंत्र की हम बात कर रहे हैं। ये हमारी तीसरी प्रेस वार्ता है इस सीरीज में और जिस प्रकार से चौंकाने वाली डिटेल बाहर आ रही है, इंटरनेशनल मीडिया जो रिपोर्ट कर रहा है, ये काफी हद तक दिख रहा है कि जिस प्रकार से फेसबुक और वॉट्सऐप के आला अधिकारियों ने मिलकर ये गलती नहीं थी, ये जानबूझ कर की गई गलती थी, जिस प्रकार से भाजपा को फायदा पहुंचाया, आज पूरे देश के सामने है और आज हम जिस आर्टिकल की बात कर रहे हैं, आगे की जो प्रेस वार्ता हुई हैं, उसमें जो हमारी मांगे हैं, उन मांगो को और मजबूत कर रही है और जैसे प्रवीन जी ने बताया कि क्रिमिनल ऑफेंस की बात हो गई है, ये बहुत गंभीर चीज है।

मैं आपको बताना चाहूंगा कि अंखी दास, जो फेसबुक इंडिया की पॉलिसी हैड हैं, 2011 में उन्होंने फेसबुक को ज्वाइन किया। 2012 में जब मोदी जी गुजरात के चुनाव थे और वहाँ पर सीएम कैंडिडेट का पूरा कैंपेन हैंडल किया, तब उन्होंने ट्रेनिंग की, फेसबुक की टीम ने ट्रेनिंग की गुजरात में और तब अंखी दास जी ने ये कहा कि ये तो जॉर्ज बुश (George Bush) हैं, मोदी जी को जार्ज बुश कहा, 2013 की मैं बात कर रहा हूं। 2014 में जो इंटर्नल मेल है, जो आज का पूरा आर्टिकल है, फेसबुक के इम्पलोई का ग्रूप बनाया गया, उसमें अंखी दास जी ने जो मेल किए, ये उसके ऊपर आधारित है। ये एक सादी चीज नहीं है, नीयत क्या है उनकी, पूरी दिख रहा है, उनके दिल में क्या है, ये अंखी दास के दिल की बात पूरे देश के सामने आ रही है। मैं उनका एक स्टेटमेंट कोट करके कहना चाहूंगा – “We lit a fire to his social media campaign and the rest is of course history”.

फेसबुक और वॉट्सऐप ऐसे प्लेटफार्म हैं, देश की जनता ने जिन पर भरोसा किया, 40 करोड़ लोग आज वॉट्सऐप पर हैं, आज कोई भी प्लेटफार्म होता है, उसका काम होता है तटस्थता से अपना काम करें। उनके ही एक अधिकारी हैं, उन्होंने कहा कि Facebook can’t pick up a racket and play the game, they have to provide the court. मतलब फेसबुक का काम है कि माध्यम दिया जाए और बाकी वो पार्टी नहीं, पक्षकार नहीं बन सकते हैं, इन्हीं मूल्यों का उल्लंघन किया गया। आगे बढ़ती हैं अंखी दास जी और कहती हैं “It’s taken thirty years of grassroots work to rid India of state socialism finally,” इतनी ज्यादा मोदी भक्ति, आप मोदी भक्ति करती हैं और फेसबुक एवं वॉट्सऐप की हैड बने बैठे हुए हैं। आप देश की जनता को कैसे अपना मुंह दिखा सकते हैं? तीसरी महत्वपूर्ण चीज, उन्होंने कहा कि -“Mr. Modi is the ‘strongman’, who had broken the former ruling party’s hold.” क्या फेसबुक के जो वरिष्ठ अधिकारी हैं, क्या ये शब्द उनके मुँह से निकल सकता है? ये कहाँ उन्होंने कहा, जहाँ पर सैंकड़ो फेसबुक के ग्लोबल इम्पलोई का एक ग्रूप है, वहाँ पर उन्होंने ये चीज कही, वहाँ पर वो अपने आपको रोक नहीं पाई। एक औऱ चीज उन्होंने कही, जब फेसबुक इम्पलोई ने कहा कि- “sentiments and actions described by Ms. Das conflicted with the company’s longstanding neutrality pledge”. मतलब कंपनी की तटस्थता पर अंखी दास का वार है और फेसबुक के इम्पलोई ने इसका विरोध जताया, फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया, ऐसी क्या मजबूरी थी फेसबुक ग्लोबल की?

जब उनकी सारी ये चीजें बाहर आई, उसके बाद में जब अंखी दास जी को 2012 से लेकर 2019 तक उनके आप एक्ट देखेंगे, हर जगह पर उन्होंने बायस दिखाया मोदी जी के प्रति। उनकी एक स्टेटमेंट ‘Don’t diminish him by comparing him with INC. Ah well—let my bias not show!!!’ ये अंखी दास का कहना है, ये गंभीर चीज है, ये उनका स्टेटमेंट है “let my bias not show!!!” कहना क्या चाहती हैं, वो बायस हैं, अगर आप बायस्ड हैं, तो आपका कोई अधिकार नहीं है कि आप फेसबुक और वॉट्सऐप के आला अधिकारी आप बन जाएं। यहाँ पर जो बात आ रही है, जो भी चीजें हैं, जो भी इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट कर रहा है, ये कोई संयोग नहीं है, ये प्रयोग है, देश के लोकतंत्र पर तीन यार जो मिलकर बैठे हैं, वॉट्सऐप हो, फेसबुक हो या भाजपा हो, तीनों मिलकर देश के लोकतंत्र पर प्रयोग कर रहे हैं, ये संयोग नहीं है और जिस प्रकार से ये हकीकत सामने आ रही है, उनकी नीयत दिखा रही है। जब 2014 में चुनाव के परिणाम आने वाले थे, तभी इन्हीं अंखी दास ने भाजपा का इंटर्नल पोल अपने मेल के द्वारा अपने साथियों के साथ शेयर किया, ये कहा कि ये होने वाला है, ये आप देखिए, पोल क्या हो रहा है। भाजपा के घोषणा पत्र में अपने मुद्दे उन्होंने डलवाए और कहा कि ये तो होने ही वाला है। ये सब क्या है? क्य़ा जो प्लेटफार्म एक यूएस कंपनी जिसको भारतीय जनता ने प्यार दिया, भारत एक बहुत बड़ा मार्केट है, 40 करोड़ से ज्यादा लोग है, क्या उनके आला अधिकारियों का ये बर्ताव लोकतंत्र के लिए शोभनीय है? नहीं!इसी प्रकार से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जिम्मेदारी है विपक्ष होने के नाते कि देश की जनता का जो भरोसा है, उसके साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। बात यहाँ पर कांग्रेस की नहीं है, बात है देश के लोकतंत्र की, जब भी हम फेसबुक की ये चीजें लेकर आते हैं, भाजपाई नेता वार करते हैं, क्यों, ये रिश्ता क्या कहलाता है? आपके पास क्या है छुपाने को, देश को आगे आकर बताईए और दूध का दूध, पानी का पानी कीजिए। पूरा देश चाहता है कि ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी इसका

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