कैग ( सीएजी ) ने हरियाणा के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं । मानसून सत्र में टेबल हुई नियंत्रक और महालेखाकार की रिपोर्ट में राज्य सरकार के बोर्ड – निगमों की कार्यशैली के प्रति नाराजगी जताई है । कैग ने दो – टूक कहा है कि सरकार कंपनियां वित्तीय लेखे- जोखे का हिसाब ही नहीं दे रही । राज्य में 87 बोर्ड – निगमों व सरकारी कंपनियों की तरफ 166 वार्षिक लेखा बकाया हैं । इतना ही नहीं , रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि 75 ऐसे
चुकाने मामले हैं , जिनमें गैर – कानूनी तरीके से पैसे निकाले गए । इस मामले में आरोपियों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही सरकार ने नहीं की । प्रदेश पर लगातार बढ़ रहे कर्जे को भी कैग ने रिपोर्ट में अंकित किया है । रिपोर्ट के अनुसार , राज्य सरकार को एक साल में ब्याज के रूप में ही 11 हजार 988 करोड़ रुपये देने पड़े । दरअसल , 2014 में राज्य पर 58 हजार 143 करोड़ रुपये का कर्ज था , जो 2018-19 में बढ़कर 96 हजार 825 करोड़ रुपए हो गया । 11 हजार 270 करोड़ का राजस्व घाटा राजस्व , प्राप्तियों का 17 प्रतिशत था ।