उत्तराखंडः यहां सरकारी जमीन पर हो रही अफीम की खेती, चरस और स्मैक का नशा बढ़ा

सीमांत जनपद उत्तरकाशी में नशे का प्रचलन बढ़ रहा है। शराब और चरस के साथ ही अब यहां अफीम और स्मैक जैसा महंगा नशा भी तेजी से पैर पसार रहा है। हैरत की बात तो यह है कि पोश्त से बनाई जाने वाली अफीम जिले में ही तैयार हो रही है। धंधे में लिप्त लोगों के लिए वन विभाग की बंजर जमीन दुधारू गाय साबित हो रही है।

जिले के मोरी ब्लाक के दूरस्थ गांवों में वन विभाग की बंजर जमीन पर आज भी पोश्त की खेती हो रही है। इस धंधे में शामिल लोग पोश्त के बीज जंगल में डाल देते हैं। फसल पकने पर इससे अफीम तैयार की जाती है। नारकोटिक्स विभाग के अभियान चलाने के बावजूद इस खेती पर रोक नहीं लग सकी है। पिछले वर्ष ही विभाग क्षेत्र में पोश्त की खेती को नष्ट कर मामले में करीब 50 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर चुका है।

करीब चार दशक पहले जिले के गांवों में कच्ची शराब का ही सीमित वर्ग में प्रचलन था। इसके बाद सरकार की ओर से जगह-जगह अंग्रेजी शराब की दुकानें खोले जाने से कच्ची शराब पर तो काफी हद तक रोक लगी, लेकिन अंग्रेजी शराब का नशा आम हो गया। कम उम्र के युवा भी शराब के नशे की चपेट में आ गए हैं। महज करीब साढ़े तीन लाख आबादी वाले इस जनपद में सभी कस्बों और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में खुली 16 सरकारी शराब की दुकानों से सरकार ही सालाना 45 करोड़ रुपये राजस्व वसूल रही है।

ऐसे में जिले में शराब के शौकीनों द्वारा गटकी जाने वाली शराब का अंदाजा लगाया जा सकता है। शराब के साथ ही अब चरस, अफीम, गांजा और स्मैक जैसा नशा भी जिले में तेजी से बढ़ रहा है। जिले के दूरस्थ इलाकों में बंजर जमीन पर प्राकृतिक रूप से उगने वाली भांग से जहां चरस तैयार हो रही है, वहीं, पोश्त की खेती से अफीम भी बनाई जा रही है। बीते कुछ वर्षों से देहरादून जैसे बड़े शहरों से स्मैक का नशा जिले तक पहुंच गया है। मोरी, पुरोला और बड़कोट के साथ ही जिला मुख्यालय पर भी युवा तेजी से स्मैक के नशे की चपेट में आ रहे हैं।

नशे की गिरफ्त में आए लोगों का होगा सर्वे

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सिविल जज सीनियर डिवीजन दुर्गा शर्मा ने कहा कि नशा उन्मूलन के लिए प्राधिकरण की ओर से नशामुक्त देवभूमि अभियान चलाया जा रहा है। जल्द ही जनपद में नशे की गिरफ्त में आए लोगों का सर्वे कराया जाएगा।

फिलहाल जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को नशे से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है। नशे के आदी लोगों के इलाज और मदद के लिए नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं। इस अभियान में समाज को साथ देने की जरूरत है।

एक साल में पकड़ी 14 लाख की अवैध शराब

नशे की रोकथाम के लिए पुलिस समय-समय पर अभियान चलाती रही है। एक साल के अंतराल में पुलिस जिले में 14 लाख रुपये से अधिक की अवैध शराब बरामद कर तस्करी के आरोप में 103 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। एनडीपीएस एक्ट के तहत जिले में 22 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, इनमें 37 तस्करों को गिरफ्तार कर पुलिस इनके पास से करीब ढाई किलो चरस, 50 किलो डोडा पाउडर, 600 ग्राम अफीम और सवा सौ ग्राम स्मैक बरामद कर चुकी है।

स्कूली बच्चे कर रहे फ्लूड का नशा

स्कूली बच्चे एल्कोहल की अधिक मात्रा वाले सिरप के
साथ ही सफेदा (व्हाइटनर) में मिलाए जाने वाले फ्लूड को भी नशे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय पर ही गंगा भागीरथी के घाटों पर स्कूली बच्चों को इस तरह का नशा करते  आसानी से देखा जा सकता है।

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