भरतपुर. शहर के लोहागढ़ स्टेडियम में 11 साल के बालक की हत्या उसी के नाबालिक दोस्त ने की थी। मंगलवार को पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा करते हुए मुख्य आरोपी व उसके नाबालिक साथी को पकड़ लिया। वारदात के खुलासे में एसपी भरतपुर हैदरअली जैदी के निर्देशन में कोतवाली सीओ हवासिंह रायपुरिया व कोतवाली थानाप्रभारी संजय शर्मा ने अहम रोल निभाया।
डीआईजी भरतपुर रेंज डीआईजी लक्ष्मण गौड़ ने बताया कि पकड़े गए दोनों बालअपचारी विजय नगर कॉलोनी, अटलबंध थाना इलाके में रहते है। इसमें मास्टरमाइंड आरोपी छठीं कक्षा में पढ़ने वाले मृतक प्रियांशु के घर के पड़ौस में रहता है। वह नशे व जुएं का आदी है। 10 वीं कक्षा में फेल हो चुका है। वहीं, गिरफ्तार हुआ दूसरा बालअपचारी मुख्य आरोपी का चचेरा भाई है। उसे पुलिस को गुमराह करने व तथ्य छिपाने के जुर्म में निरूद्ध किया गया है।
रकम वसूलने के लिए पड़ौसी के बेटे को बंधक बनाकर फिरौती की रची साजिश
आईजी गौड़ के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि 17 वर्षीय मुख्य आरोपी को मौज मस्ती के लिए रूपयों की जरुरत थी। उसे यह अहसास था कि पड़ौस में रहने वाले संजय कुमार के काफी पैसा है। ऐसे में उसने संजय के बेटे और अपने दोस्त 11 वर्षीय प्रियांशु को बंधक बनाकर उसके पिता से 2 लाख रूपए की फिरौती वसूलने का योजना बनाई। इसके लिए 25 दिसंबर को मुख्य आरोपी ने प्रियांशु को क्रिकेट खेलने के लिए लोहागढ़ स्टेडियम बुलाया।
स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के बहाने बुलाकर दिया हत्या की वारदात को अंजाम
वहां दोपहर तक क्रिकेट खेलते रहे। इसके बाद मुख्य आरोपी बाल अपचारी ने स्टेडियम के ही परिसर में पैवेलियन के पास टॉयलेट के पास निर्माणाधीन गुमटी की तरफ गेंद को फेंका। फिर प्रियांशु को गेंद लेकर आने को कहा। ज्योंही प्रियांशु गेंद लेने को उस गुमटी में प्रवेश किया। तभी संकरी जगह होने से मुख्य आरोपी ने उसे पीछे से दबाकर बांधने की कोशिश की। जब प्रियांशु ने संघर्ष किया तो मुख्य आरोपी अपचारी ने उसका गला व मुंह घोंटकर हत्या कर दी।
इसके बाद वहीं, गड्ढा खोदकर आसपास रखी मिट्टी प्रियांशु पर पटककर उसका शव छिपा दिया। वहां से अपने घर चले गए। वहीं, 25 को देर शाम तक प्रियांशु घर नहीं लौटा। तब परिजनों ने उसकी तलाश शुरु की। अगले दिन 26 दिसंबर को अटलबंध थाने में प्रियांशु के अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया। तब थानाप्रभारी हरिनारायण मीणा ने जांच शुरु की। मामले को गंभीरता से लेने पर डीआईजी लक्ष्मण गौड़ खुद मौके पर पहुंचे।
फिर एसपी जैदी, एएसपी मूल सिंह राणा, सीओ कोतवाली हवासिंह, कोतवाली थानाप्रभारी संजय शर्मा और एएचटीयू प्रभारी रामकेश मीणा की टीम भी केस की जांच में जुट गई। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। करीब 3 दर्जन संदिग्धों से पूछताछ की। तब संदेह के आधार पर एएचटीयू टीम में हैडकांस्टेबल पूरण शर्मा की सूझबूझ पर पुलिस ने 28 दिसंबर को प्रियांशु का शव टॉयलेट के पास बनी गुमटी में मिट्टी से बाहर निकाला।
चचेरे भाई ने हत्या करते देखा तो उसे भी धमकाया, फिर पुलिस को किया गुमराह
वारदात के बाद पुलिस ने पड़ताल शुरु की और फिर मुख्य आरोपी तथा उसके चचेरे भाई से पूछताछ शुरू की। पहले तो वे दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे। बाद में, चचेरे भाई ने अपने भाई द्वारा प्रियांशु की हत्या कर शव को मिट्टी के नीचे गड्ढे में छिपाने की बात का खुलासा किया। इसके बाद मुख्य आरोपी बाल अपचारी भी टूट गया। यह भी सामने आया कि उसके चचेरे भाई ने जब उसे हत्या करते हुए देखा। तब आरोपी ने उसे भी केस में फंसाने की धमकी देकर चुप करवा दिया और उसे भी रुपयों का लालच दिया।